राधा साध्यम साधनं यस्य राधा मंत्र हिंदी लिरिक्स
राधा साध्यम साधनं यस्य राधा, मंत्रों राधा मंत्रदात्री च राधा l
सर्वम राधा जीवनं यस्य राधा, राधा राधा वाचिकिम तस्य शेषम l l
भावार्थ : राधा जी साध्य हैं उनको पाने का साधन भी राधा नाम ही है मंत्र भी राधा है और मंत्र देने वाली गुरु भी राधा जी स्वयं ही है और सारा ब्रह्मांड राधा जी के नाम में ही समाया हुआ है l और सबका जीवन प्राण भी राधा नाम ही है राधा नाम के अतिरिक्त इस ब्रह्मांड में बचता ही क्या है l
राधे कृष्णा राधे कृष्णा कृष्णा कृष्णा राधे राधे l
राधे श्याम राधे श्याम श्याम श्याम राधे राधे l l
संतों ने भी गाया है कि:
तत्वन के तत्व, जग जीवन श्रीकृष्ण चन्द्र।
कृष्ण हू को तत्व, वृषभानु की किशोरी है।।
भावार्थ : यह हुआ कि राधा तत्व से ही श्री कृष्ण परिपूर्ण हुए हैं। एक मात्र राधा तत्व ही है जो उस पूर्ण पुरुषोत्तम को भी पूर्ण बनाता है।
राधा तत्व न होता तो वो श्रीकृष्ण रसिकों में सबसे खास न होते, राधा तत्व न होता तो कृष्ण का हास विलास न होता और उससे भी बड़ी बात अगर राधा तत्व न होता तो कभी भी उन श्रीकृष्ण का महारास न होता।
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रस स्वरूपिणी राधा रानी से ही तो रास का जन्म हुआ है। राधा तत्व है तो बृज के कण-कण में रस है। राधा तत्व है तो बृज की लता-पता में रस है और राधा तत्व है तो बृज की रज-रेणु में भी रस है।
जिन राधा के पद चापन के प्रभाव से वो श्रीकृष्ण भी ब्रज की ठकुराई पा गये, जिन राधा के पद रेणु के श्रृंगार से उद्धव जैसे ज्ञानी भी अपने आप को धन्य अनुभव करने लगे। मेरा भोला है भंडारी करे नंदी की सवारी भजन लिरिक्स
और समस्त सिद्धियाँ भी जिन राधा रानी के चरणों की दासी बन गयी ऐसी ब्रज ठकुरानी राधा रानी के तत्व विवेचन की सामर्थ्य यह साधारण जीव कैसे प्राप्त कर सकता है..?
जय नित्य विहारिणी श्रीराधा, ब्रजसुख विस्तारिणी श्रीराधा।
रसिकन की स्वामिनि श्रीराधा, करुणानिधि नामिनि श्रीराधा॥
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आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी