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श्रीकृष्ण (बाल गोपाल) के बचपन की मनमोहक कथा

श्रीकृष्ण (बाल गोपाल) के बचपन की मनमोहक कथा : कन्हैया ने देखा कि बहुत देर से मैया दही बिलो (माखन निकलना) रही है तो उठकर आये, रात्रि को सोते समय मैया कृष्ण

की आँखों में काजल लगाती है

तो सबेरे उठते ही कन्हैया दोनों हाथ से आँखें मलकर आये तो जगन्नाथ भगवान् की सी गोल-गोल आँखें बन गयी, वो काजल आधे गाल पर फैल जाता है।, घुटमन-घुटमन चलकर आये, मटकी को पकड़कर खड़े हो गये।

मैया यसोदा बोली – ओहो ! आ गये तुम ! कन्हैया ने कहा – मैया, बड़ी जोर की भूख लग रही है, माखन दे दो। Please Read Also-मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है

मैया बोली – माखन तो अबहीं निकरयो नांय है। पहले हाथ मुँह धो, ज्यादा भूख लगी है तो रात्रि को माखन वा मटकी में धरयो है। नेक मिश्री मिलायकें खायलें, ना मैया, मैं तो ताजौ माखन लुँगौ, याही मटकी में से लुँगो और अबही लुँगो, कन्हैया मचल गये।

मैया बोली – लाला तू मोय तंग करै, तो मौकूं अच्छौ नाय लगै, तू बड़ो ऊधम मचावै, अबही निकरयो ही नाय तो माखन ! बोले, ना मै तो ताजौ ही लूंगो, मैया ने सोचा, भूख-वूख तो इसे लगी नहीं है। बच्चों को तो जो बात मन में आ जाय बस वही चाहिये। मैया ने लाला कौ गोदी में लै लियौ और बोली, देखियो ये ऊपर क्या है ?

कन्हैया बोले, क्या है ? मैया बोली – चन्दा मामा है, सो चन्दा को देखते ही कान्हा माखन भूल गये, हम तो चन्दा लेंगे, हम तो चन्दा लेंगे, हमकूं चंदा चाहिये और अब ही चाहिये, मैया ने कही – हाँ, चंदा लेंगे, चंदा लेंगे करतो रह तब-तक मेरो माखन निकल आयगो, साड़ी पकड़कर खड़े हो गये। Please Read-तेरी कृपा का है ये असर सांवरे हिंदी लिरिक्स

माखन-वाखन बाद में निकलेगा पहले चंदा चाहिये, मैया बोली – हे भगवान् ! अब क्या करूं ? मैया ने क्या कि बहुत बड़ी परात में पानी भरकर रख दिया, ले आय गयौ चंदा, हाथ मारकर बोले ये तो पानी है, मैं तो वाही को लुँगो।

कन्हैया अब ज्यादा तंग जब करने लगे तो मां यशोदा को थोड़ा क्रोध आ गया, मैया बोली, बहुत ही परेशान करै हैं कहकर लाला को गोदी से नीचे पटक दियौ, चलौ जा यहां से, चंदा लेंगे चंदा लेंगे सुबेरे से परेशान कर रहयौ है मोय।

जैसे ही मैया ने फटकार लगा दी तो गुस्सा के मारे गुब्बारे जैसौ मुंह फूल गयो गोविन्द को, कमर पर हाथ धर के यशोदा मैया की ओर देख रहे हैं, बोले – ओ बुढ़िया मैया, चंदा दोगी कि नहीं।

मैया बोली – धमकी देय रहयौ है मोय? नाय देय रही चंदा, बोल क्या करेगौ ? कन्हैया मचल गये कितनी सुंदर धमकी दे रहे हैं। मैया यशोदा को “चन्द्र खिलौना लैहों री मैया चन्द्र खिलौना लैहों” यदि तुमने चंदा नहीं दिया तो जमीन पर लेट जायेंगे, पूरे शरीर पे बालू लगा लेंगे, तुम्हारी गोद में बिल्कुल नहीं आयेंगे।

मैया बोली – दारी के मत आ, मेरी गोद मैं नाय आवेगो तो मैं बलराम को गोद में लेय लूंगी पर चंदा नहीं दूंगी, जो करनो है सो कर ले। कन्हैया ने सोचा, ये धमकी काम नहीं कर रही है तो सुरभि को पय पान न करिहों बेणी सिर न गुथैहों यदि तुम चंदा नहीं देओगी तो सुरभि गाय को दूध नहीं पिऊँगो, बालों में फूल नाय लगाऊँगों।

मैया बोली- दारी के एक तो वैसे ही तू दुबलौ-पतलौ है, दूध ना पीवैगो तो तेरो पेट पीठ में ही चिपक जायगो और दुबलो हो जावेगो। तू कारौ तो है ही लाला, सुन्दर तो है नाय, तेरी चोटी गूंथ के मैं तौहै थोड़ा सुन्दर बना देती हूँ।

चोंटी ना गुथवावोगौ तो मैं तो बलराम की गूंथ देऊँगी, मत आवे मेरी गोद में। भगवान् ने देखा कि ये धमकी भी काम नहीं कर रही है। कन्हैया बोले – या तो हमें चंदा दे दो नहीं तो हमारे पास एक बात ऐसी है, सुनाय दयी तो चंदा देनों ही पड़ेगो। Please Read-अच्युतम केशवम कृष्ण दामोदरम हिंदी लिरिक्स

मैया बोली – तू जै बात होयै जा सबने सुना दें मैं चंदा ना दे रही। अब लाला सोचने लगे कुछ तो करना पड़ेगा, यदि तुमने हमें चंदा नहीं दियो तो ब्रजवासियों की पंचायत में कह देंगे। सुनो मैया हम केवल नंदबाबा के बेटा है, यशोदा के बेटा नहीं हैं।

यदि मोकुं अपनो पुत्र बनानो है तो पहले हमको चंदा दे दो, नहीं तो तू हमारी मैया नहीं और हम तुम्हारे पुत्र नहीं, रूठकर जाकर कौने में बैठ गये। साढ़े तीन बरस के कृष्ण जब रूठकर कौने में जाकर बैठे तो मैया यशोदा के नेत्रों से प्रेमाश्रु निकल पड़े।

मैया बोली – अरे तू ऐसी तोतरी वाणी बोले तोकूं कहीं मेरी ही नजर ना लग जाये। दौड़कर यशोदा ने लाला को अंक में भर लिया और गोद में बिठा लिया, अरे लाला, एक मीठी बात कहूं, बोले कह दो, तूं रूठ्यौ ना कर, ऐसो नाराज मत हो, माखन से भी कोमल, चंदा से भी सुन्दर तेरे लिए एक नयी बहू लै आऊँगी।

बहू का नाम सुनते ही चंदा भी भूल गये, श्रीमान् बोले बहू लेंगे हम तो बहू लेंगे। मैया हंसकर बोली – मुंह धोयबो तौ आवै नाय और बहू लेंगे। तोहे भोजन तो मैं अपनी गोद में बिठाकर कराऊँ, भोजन करनो आवे नाय, बहू लेगो, तू जानै बहू कैसी होवै?

बहुत लम्बी होय बहू, तू तो छोटो सो लाला है बहू तो बड़ी लम्बी होय। कन्हैया बोले – हम छोटे है तो बहू भी छोटी ही ले लेंगे। मैया बोली – ठीक है आज माखन बाद में निकारूंगी पहले तेरे लिए बहू ही लै आऊँ, बता कितनी बड़ी बहू लै आऊँ।

कन्हैया बोले – इतनी बड़ी लै आइयो जो हम गाय चरावे जायो करें तो जेब में धर के लै जायें।मैया बोली – गुड़िया की कह रहयो दीखै, सो लाकर गुड़िया हाथ में दै दई और सब भूल गये।

साढ़े तीन बरस का बालक क्या जाने बहू क्या होती है? अब सब भूल गये कन्हैया और मैया यशोदा की गोद में चढ़ गये।

बोलिए बांके बिहारी लाल की जय

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