12 ज्योतिर्लिंग कौन कौन से है और कहां पर स्थित हैं?
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारंममलेश्वरम् ॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
12 ज्योतिर्लिंग कौन कौन से है और कहां पर स्थित हैं?
01 श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Shri Somnath Jyotirling)
श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में यह मंदिर स्थित है। शिव-पुराण के अनुसार जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप करके श्राप से मुक्ति पाई थी।
ऐसा भी कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है।
02 मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjuna Jyotirling)
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिवजी के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं।
अनेकों धार्मिक ग्रंथ इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं। कहते हैं कि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
03 महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirling)
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रति-दिन सुबह की जाने वाली भस्मारती (भस्म आरती) विश्व भरमें प्रसिद्ध है।
महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है। उज्जैन वासी यह मानते हैं कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।
04 ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirling)
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ॐ का आकार बनता है। ॐ शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है।
इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ॐ के साथ ही किया जाता है। यह ज्योतिर्लिंग ॐकार अर्थात ॐ का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
05 केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirling)
केदारनाथ में स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है। यह उत्तराखंड राज्य में स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मुख्य मार्ग में स्थित है। केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मी० की ऊँचाई पर स्थित है।
केदारनाथ का वर्णन स्कन्द-पुराण एवं शिव-पुराण में भी मिलता है। यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व भगवान शिव ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।
06 भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirling)
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। यहीं से भीमा नदी भी निकलती है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के प्रति-दिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।
07 काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Kashi Vishwanath Jyotirling)
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के काशी (बनारस) नामक स्थान पर स्थित है। काशी नगरी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है। इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है।
यहां की मान्यता है, कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा। इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुन: रख देंगे।
08 त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirling)
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में रहना पड़ा।
09 वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Vaidyanath Jyotirling)
श्री वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर स्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है। वैद्यनाथ मन्दिर भारत के झारखण्ड राज्य के देवघर नामक स्थान में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है।
10 नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Jyotirling)
यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारिका धाम से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शास्त्रों में भगवान शिव नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है। भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण-श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
11 रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirling)
यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान तीर्थ हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है, कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान श्री राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।
12 घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग (Ghrishneshwar Temple Jyotirling)
घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद से 11 किमी० दुरी पर स्थित है। इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। लोग यहां दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है।
बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित अजन्ता-एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के समीप स्थित हैं। यहीं पर श्री एकनाथजी गुरु व श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी है। मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।
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