X

आखिर मन वृंदावन में क्यों छूट जाता है ?

aakhir vrindavan mein man vahi chhot jata hai kyon..

आखिर मन वृंदावन में क्यों छूट जाता है ? वृंदावन आखिर है क्या ? लोग क्यों यहां एक बार आकर केवल तन से वापस आते हैं I मन वही छूट जाता है I वृंदावन श्री राधिका जी का निज धाम है I विद्दान जन श्री धाम वृंदावन का अर्थ इस प्रकार भी करते हैं I

“वृंदस्य अवनं रक्षणं यत्र तत्र वृन्दावनं ”

श्री राधा रानी अपने भक्तों की दिन-रात रक्षा करती हैं I उसे वृंदावन कहते हैं I वृंदावन तीर्थों का राजा है I कृष्ण और वृंदावन एक-दूसरे का पर्याय हैं I दोनों एक है I अलग नहीं I Please Read Also-देना हो तो दीजिये जनम जनम का साथ हिंदी लिरिक्स

जिस प्रकार श्रीमद्भागवत गीता और भगवान की वाणी एक है I उसी प्रकार कृष्ण और उनका यह प्रेममय, रसमय, चिन्मय धाम दोनों अभेद हैं I

सूरदास जी ने वृंदावन धाम की रज की महिमा का गुणगान करते हुए यह पद भी लिखा कि –

हम ना भई वृंदावन रेणु,
तिन चरनन डोलत नंद नंदन नित प्रति चरावत धेनु II
हम ते धन्य परम ये द्रुम वन बाल बच्छ अरु धेनु I
सूर सकल खेलत हँस बोलत संग मध्य पीवत धेनू II

आप कभी भी अनुभव कर सकते हैं I कि वृंदावन की भूमि पर कदम रखते ही शरीर से में एक रोमांच होने लगता हैI जो वापस वहां से दूर हटते ही समाप्त हो जाता है I

किसी भी धाम में जाइए I ऐसा अनुभव आपको कहीं नहीं होगा I हमारे श्रवणकर्ण भी प्रत्येक क्षण राधे-राधे का स्वर सुनते रहते हैंI

यहां आते ही भाव अपने आप प्रस्फ़ुटित होने लगते हैं I वह बिहारी जी के समक्ष खड़े होकर उन क निहारते समय आपको कुछ कभी कुछ याद नहीं रहेगा I Please Read Also-हमें जीवन का सच्चा सुख और आनंद की प्राप्ति कैसे होगी?

कि आप कौन हैं I यहां क्यों आए I उन से कुछ मांगना तो दूर की बात है I मंत्र मुग्ध चित्रलिखित सी अवस्था हो जाती हैं II

मैंने आज तक वृन्दावन धाम में जाकर कभी कुछ नहीं मांगा ध्यान तक नहीं आता I जबकि मांगने को प्रभु की चरण सेवा और दर्शन की अभिलाषा सबको होती है I

वह केवल भाव के भूखे हैं I आपका भाव पढ़ते हैं I भाव है तो दर्शन अवश्य मिलेगा I वरना कोई न कोई बाधा आ ही जाती है I

हम उनके दर्शन न कर पाने का ठीकरा भी उन्हीं पर फोड़ते हैं I कि हमें बुलाते नहीं यह बिल्कुल असत्य हैI और गलत सोच है I

वह सभी की राह देखते हैं I शर्त बस इतनी सी कि हमारे पांव प्रेममय भक्ति के साथ उस राह पर कब पडते हैं I

अश्रुपूरित प्रेममयी प्रार्थना उनको पिघला देती है I उनकी आज्ञा के बिना कोई भी ब्रजभूमि पर पांव नहीं रख सकता I

हम सब राधा रानी से प्रार्थना करें I कि हमें बारंबार ब्रज दर्शन हों II

भगवान विष्णु के 24 अवतार कौन-कौन से हैं

सामर्थ्य अनुसार धन, ज्ञान,शिक्षा का सदुपयोग

Categories: Bhakti

This website uses cookies.