X

मदन मोहन श्री कृष्ण और उनके मुस्लिम भक्त ताज खां

मदन मोहन श्री कृष्ण और उनके मुस्लिम भक्त ताज खां

मदन मोहन श्री कृष्ण और उनके मुस्लिम भक्त ताज खां

ताज खान नामक एक व्यक्ति राजस्थान के करौली नगर की कचहरी में चपरासी के पद पर नियुक्त थे I एक बार वे कचहरी के काम से मदन मोहन मंदिर के पुजारी गोस्वामी जी के पास आए I और मंदिर के बाहर खड़े होकर पुजारी जी को आवाज लगाने लगे I

अचानक उनकी नजर मंदिर में स्थित भगवान श्री राधा मदन मोहन श्री कृष्ण पर चली गई I भगवान श्री कृष्ण के रूप सौंदर्य की एक झलक पाते ही उनका दिल दीवाना बन बैठा I वे उनके मुख मंडल की ओर टकटकी लगाकर निहारते ही रह गए I जब पुजारी जी मंदिर से बाहर आए तो उनका ध्यान भंग हुआ और कचहरी का संदेश उन्हें देकर वे चले गए I

ताज खान वहां से चले गए चले तो गए I लेकिन उनका दिल फिर से भगवान श्री कृष्ण की उसी सांवली सलोनी छवि को देखने के लिए मचलने लगा I उन्हें ना दिन को चैन आता था ना रात को चैन आता था I Please Read-श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी भजन लिरिक्स !

उनके दिमाग में बस मनमोहन कृष्ण कन्हैया की छवि बार-बार सामने आने लगी I अब ताज खान इस ताक में रहने लगे कि किसी ना किसी तरह हर रोज इस सुंदर छवि के दर्शन किए जाएं I लेकिन मुस्लिम होने के कारण वे मंदिर में प्रवेश तो नहीं कर सकते थे I

अतः वे मंदिर के बाहर ही घूमते रहते थे I और जब कोई निकट ना होता तो मनमोहन जी को निहारने लगते I लेकिन प्रेम लाख छुपाने पर भी भला छुपता कहां है I पुजारी जी को आखिर पता चल ही गया I कि यह मुस्लिम छुप-छुपकर हमारे मदन मोहन जी का दर्शन करता है I

उन्होंने ताज खां को मंदिर आने से मना कर दिया I लेकिन मना करने के बावजूद ताज खान का दिल नही माना और वे भगवान के रूप की एक झांकी देखने के लिए मंदिर पहुंच गए I किंतु मंदिर के एक कार्यकर्ता ने उन्हें वहां से धक्का मार कर बाहर निकाल दिया I

ताज खान अगले दिन मंदिर नहीं गए I तो उनका दिल मनमोहन जी के दर्शन करने के लिए तड़पने लगा I वह उन्हें मन में याद कर करके फूट-फूट कर रोने लगे I

अपने दिल का हाल बताएं तो भी किसे बताएं I अन्न जल त्याग कर वे मदन मोहन जी से ही दर्शन की प्रार्थना करने लगे भक्तों की करुण पुकार सुनकर भगवान का हृदय पसीजा उठा I Please read -लड्डू गोपाल जी ने निभाया भाई बन कर अपना फर्ज

इधर भगवान मदनमोहन मंदिर में रात की आरती के बाद भगवान के सामने प्रसाद का थाल रखकर दरवाजा बाहर से बंद कर दिया गया I भगवान मदनमोहन जी ने मंदिर के कार्यकर्ता का रूप धारण किया और प्रसाद का थाल लेकर अपने भक्त ताज खां के घर जा पहुंचे I

भगवान ने जब ताज खां के घर का दरवाजा खटखटाया I उस समय भी वे भगवान के दर्शन के लिए तड़प रहे थे I भगवान ने ताज खां के हाथ में थाल देकर कहा I पुजारी जी ने आपके लिए प्रसाद भेजा है I आप प्रसाद ग्रहण कर लें I

और सुबह थाल लेकर मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए पधारें I ताज खां को तो विश्वास ही नहीं हो पाया I कि जिन पुजारी ने उन्हें मंदिर में बाहर से ही भगवान को निहारने से भी मना कर दिया था I Please Read-अधरं मधुरं वदनं मधुरं मधुराष्टकम भजन लिरिक्स

उन्हीं ने आधी रात में उनके लिए प्रसाद का थाल भेजा है I किंतु जब मंदिर के कार्यकर्ता का रूप धारण किए हुए भगवान ने आग्रह किया I तो उनकी बात मान कर ताज खान ने भावुकमन से प्रसाद ग्रहण कर लिया I इसके बाद भगवान वहां से चले गए I

अब भगवान ने मंदिर के पुजारी को सपने में दर्शन देकर कहा ! प्रसाद का थाल में ताज खां को दे आया हूं I सुबह जब प्रसाद का थाल लेकर मंदिर में आए I तो उन्हें मेरे दर्शन से वंचित ना करना Iपुजारी जी ने सुबह उठकर देखा तो मंदिर में प्रसाद का थाली नहीं था I

वे चकित हो उठे और दौडते हुए वहां के महाराज के पास गए I और उन्होंने सारी घटना कह सुनाई I महाराज भी एक मुस्लिम पर भगवान की कृपा को देख कर भाव विभोर हो उठे I दोनों मंदिर में ताज खां के आने की प्रतीक्षा करने लगे I

जब ताज खान पूजा के समय हाथ में प्रसाद का थाल लिए मंदिर में घुसे तो सभी उपस्थित भक्तजन आश्चर्यचकित रह गए I महाराज दोड़कर आगे बढ़े और भगवान मदनमोहन जी के सच्चे भक्त ताज खां को गले से लगा लिया I जब सभी श्रद्धालुओं को इस घटना का पता चला तो वे भक्त ताज खां की जय-जयकार करने लगे I

आज भी करौली के मदन मोहन मंदिर में जब शाम की आरती होती है I तो इस दोहे को गाकर भक्त ताज खां को याद किया जाता है :

ताज भक्त मुसलिम पै प्रभु तुम दया करी I
भोजन लै भक्त घर पहुंचे दीनदयाल हरि II

श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि भजन

भगवान रणछोड़ की अपने भक्तों पर कृपा

Categories: Bhakti

This website uses cookies.