देव ऋषि नारद किसके श्राप से एक जगह नहीं टिकते थे।

देव ऋषि नारद किसके श्राप से एक जगह नहीं टिकते थे।

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देव ऋषि नारद किसके श्राप से एक जगह नहीं टिकते थे।

देव ऋषि नारद किसके श्राप से एक जगह नहीं टिकते थे। : हमने देव ऋषि नारद के बारे में बहुत सुना है। यह हर जगह पहुंच जाते हैं। देव, दानव, सुर-असुर सभी जगहों पर इनकी पूछ है। कोई शांत बैठा हो तो उसे उकसा देते हैं। कोई तांडव कर रहा हो तो उसे शांत कर देते हैं। राम हों या कृष्ण हर जगह नारद जी पूछ होती है। सामर्थ्य अनुसार धन, ज्ञान,शिक्षा का सदुपयोग

नारद जी ने रावण को सलाह दी और उसका अंत हुआ। नारद जी ने ही कंस के कान में कुछ कहा और वह आतंकित हो गया। तो आखिर ऐसा क्या है। जो नारद जी की लीला से शांत जल में भी उफान आ जाता है। नारद जी महर्षि हैं इन्होंने कभी विवाह नहीं किया। माना जाता है कि नारद जी का विवाह उनके ही अपने ओरस पिता ब्रह्मा जी के श्राप से नहीं हुआ। राधे राधे जपो चले आएंगे बिहारी हिंदी लिरिक्स

कहते हैं कि एक बार ब्रह्मा जी ने नारद जी से कहा कि वह विवाह कर लें। उनके पुत्र होंगे और उनका कुल चलेगा। मगर नारद जी तो ठहरे मस्त मौला वो कहां इन झंझटों में फंसने वाले। पिता ब्रह्मा उनसे कहते कि विवाह करो और वो अपनी मस्ती में मस्त रहते। यह देख ब्रह्मा जी को काफी कष्ट पहुंचा। उन्होंने नारद जी को श्राप दिया कि वह आजीवन अविवाहित रहेंगे।

इस प्रकार महर्षि नारद जी से एक कहानी और जुड़ी है। वो है कि नारद जी एक जगह नहीं टिकते। एक पौराणिक कथा है। कि राजा दक्ष की पत्नी आसक्ति ने 10 हज़ार पुत्रों को जन्म दिया था। लेकिन इनमें से किसी ने भी उनका राज पाट नहीं संभाला क्योंकि नारद जी ने सभी को मोक्ष की राह पर चलना सीखा दिया था। भगवान विष्णु के 24 अवतार कौन-कौन से हैं

इसके बाद उन्होंने पंचजनी से विवाह किया और उन्होंने एक हजार पुत्रों को जन्म दिया। नारद जी ने दक्ष के इन पुत्रों को भी सभी प्रकार के मोह माया से दूर रहकर मोक्ष की राह पर चलना सीखा दिया।

इस बात से राजा दक्ष को बहुत क्रोध आया, जिसके बाद उन्होंने नारद मुनि को श्राप दे दिया और कहा कि वह हमेशा इधर-उधर भटकते रहेंगे और एक स्थान पर ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएंगे। जिसके बाद नारद मुनि कभी एक जगह पर नहीं टिक पाए।


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