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देवशयनी एकादशी 2023 कब है l जानें पूजा विधि एवं महत्व

देवशयनी एकादशी 2023 कब है l जानें पूजा विधि एवं महत्व : देवशयनी एकादशी व्रत 30 जून 2023 बुधवार के दिन भगवान श्री हरि विष्णु छीर सागर मैं योगनिद्रा में चले जाएंगे l अगले 4 महीने तक शुभ कार्य वर्जित हो जाएंगे, इसे चतुर्मास भी कहते हैं l भगवान विष्णु फिर देवउठनी (कार्तिक शुक्ल पक्ष की) एकादशी को योगनिद्रा से जागते हैं l

एकादशी तिथि प्रारंभ : 29 जून 2023 को अपराह्न 03 : 18 मिनट (मंगलवार)

एकादशी तिथि समाप्त : 30 जून 2023 को पूर्वाहन 02 : 42 मिनट (बुधवार)

देवशयनी एकादशी का महत्व

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है l इसे हरि शयनी एकादशी भी कहते हैं l एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में l

भगवान विष्णु ही प्रकृति के पालनहार हैं और उनकी कृपा से ही सृष्टि चल रही है l इसलिए जब श्रीहरि जब् चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं l तो उस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है l इसी समय से चतुर्मास की शुरुआत भी हो जाती है l

इस समय कोई मांगलिक या भौतिक कार्य तो नहीं होता लेकिन तपस्या होती है l इसलिए इसे चतुर्मास भी कहा जाता है l इसलिए इसे बहुत ही शुभ महीना माना जाता है l

देवशयनी एकादशी के बाद चार महीने तक सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेजस तत्व कम हो जाता है l इसलिए कहा जाता है कि देव सयन हो गया है l शुभ शक्तियों के कमजोर होने पर किए गए कार्यों के परिणाम भी शुभ नहीं होते l चतुर्मास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए l

देवशयनी एकादशी से साधुओं का भ्रमण भी बंद हो जाता है l एक जगह पर रुक कर प्रभु की साधना करते हैं l चतुर्मास के दौरान सभी धाम ब्रज में आ जाते हैं l इसीलिए इस दौरान ब्रज की यात्रा बहुत शुभकारी होती है l अगर कोई व्यक्ति ब्रज की यात्रा करना चाहे तो इस दौरान कर सकता है l

जब भगवान विष्णु जागते हैं, तो उसे देवोत्थान एकादशी या देवउठनी एकादशी कहा जाता है l इसके साथ ही शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं l इस बार देवशयनी एकादशी 23 नवंबर 2023 गुरुवार को है। देवशयनी एकादशी के चार महीने तक सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेजस तत्व कम हो जाता है l

पूजन से लाभ

देवशयनी एकादशी को व्रत करने और इस दिन भगवान श्री हरि की विधिवत पूजन से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है l सारी परेशानियां खत्म हो जाती है l मन शुद्ध होता है l सभी विकार दूर हो जाते हैं l और सभी दुर्घटनाओं के योग टल जाते हैं l इस एकादशी के बाद शरीर और मन नवीन हो जाता है l यह भी पढ़ें – भगवान जगन्नाथ प्रत्येक वर्ष बीमार क्यों पड़ते हैं …..?

संक्षेप व्रत कथा

एक राजा के राज में बरसात नहीं हो रही थी l सारे लोग बहुत परेशान थे, और अपनी परेशानी लेकर राजा के पास पहुंचे l हर तरफ अकाल था , ऐसी दशा में राजा ने भगवान श्री विष्णु की पूजा की l और देवशयनी एकादशी का व्रत रखा l इसके फल स्वरुप भगवान विष्णु और राजा इंद्र ने बरसात की l और राजा के साथ-साथ उसकी प्रजा के लोगों के सभी कष्ट दूर हो गए l

हरिशयन मंत्र से सुलाए सुलायें भगवान विष्णु को

सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम् l
विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम् ll

अर्थ – हे प्रभु आपके जागने से पूरी सृष्टि जग जाती है l और आपके सोने से पूरी सृष्टि और चर और अचर सो जाते हैं l आपकी कृपा से यह सृष्टि सोती है और जागती भी है l आप अपनी करुणा से हमारे ऊपर कृपा बनाए रखिए l

पूजन विधि

इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजन किया जाता है l ताकि चार महिने तक भगवान विष्णु की कृपा बनी रहे l

  • भगवान विष्णु मूर्ति या चित्र रखें l
  • दीप जलाएं l
  • पीली वस्तुओं का भोग लगाएं l
  • पीला वस्त्र अर्पित करें l

भगवान विष्णु के मंत्र

“ओम् नमो भगवते वासुदेवाय्” का कम से कम 108 बार जब करें l

अथवा

एकादशी मंत्र

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे l
सहस्त्रनाम ततुल्यम राम नाम वरानने” ll

इस मंत्र का जाप करने से श्री विष्णु सहस्त्रनाम के जप के समान पुण्य फल प्राप्त होता है l अगर आपको कोई मंत्र याद नहीं है तो सिर्फ़् श्री हरि के नाम का कम से कम 108 बार जप करें l हरि का नाम अपने आप में एक मंत्र है l

  • तुलसी या चंदन की माला से जप करें l
  • आरती करें l
  • प्रभु का स्मरण करते हुए रात्रि में जागरण करें l
  • विशेष हरि शयन मंत्र का उच्चारण करें l

देवशयनी एकादशी संकल्प मंत्र

सत्यस्थः सत्यसंकल्पः सत्यवित् सत्यदस्तथा l
धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित्तः ll
कर्म कर्ता च कर्मेव क्रिया कार्य तथैव च l
श्रीपतिनिर्पतिः श्रीमान् सर्वस्यपतिरुजिर्तः ll

देवशयनी एकादशी पर भगवान श्री विष्णु को प्रसन्न करने का मंत्र

सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम् l
विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम् ll

देवशयनी एकादशी श्री विष्णु क्षमा मंत्र

“भक्तस्तुतो भक्तपरः कीर्तिदः कीर्तिवर्धनः l
कीर्तिदीर्प्तिः क्षमाकांतिभर्क्तश्चैव दया परा” ll

“ओम् नमो भगवते वासुदेवाय्” “ओम् नमो भगवते वासुदेवाय्” “ओम् नमो भगवते वासुदेवाय्”

देवशयनी एकादशी व्रत की महिमा आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की

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