भगवान नाम रूप और यश छोड़ने वाले मनुष्य का साथ कभी नहीं छोड़ते हैं I
भगवान नाम, रूप और यश छोड़ने वाले मनुष्य का साथ कभी नहीं छोड़ते हैं I : जो मनुष्य नाम रूप और यश छोड़ देता है I भगवान उसे नहीं छोड़ते हैं I हनुमान
अपना नाम छोड़ना –
हनुमान जी ने अपना कोई नाम नहीं रखा I हनुमान जी के जितने भी नाम है I सभी उनके कार्यों से के अनुसार अलग-अलग नाम हुए हैं I किसीने पूछा आपने अपना कोई नाम क्यों नहीं रखा I तो हनुमान जी बोले जो है नाम वाला होता है वही बदनाम भी हो जाता है I नाम तो इस संसार में दो ही सुंदर है राम और कृष्ण I
जब हनुमान जी विभीषण जी के पास गए I तो विभीषण जी बोले आप अपना नाम बताइए I आपने भगवान कि इतनी सुन्दर कथा सुनाई I हनुमान जी बोले हमारे नाम की तो बड़ी महिमा है I
“प्रात लेई जो नाम हमारा I तेहि दिन ताहि मिले न आहारा“
अर्थात – प्रातः काल जो हमारा नाम ले लेता है I उस दिन उसे आहार तक नहीं मिलता I हनुमान जी ने नाम छोड़ा और आज हम नाम के पीछे ही मरे जाते हैं I अगर हम मंदिर में एक पत्थर भी लगवाते हैं I तो सबसे पहले अपना नाम उस पर खुदवाते हैं I
एक व्यक्ति ने एक मंदिर में पंखे लगवाए I पंखे की हर पंखुड़ी पर अपने पिताजी का नाम लिखवाया I एक संत ने पूछा – कि ये पंखे पर किसका नाम लिखा है I तो उसने कहा मेरे पिता जी का नाम है I संत बोले जीते जी तो खूब चक्कर काटे कम से कम मरने के बाद तो उन्हें छोड़ दो I क्यों चक्कर लगवा रहे हो ?
अपना रूप छोड़ना –
हनुमान जी बंदर का रूप लेकर आए I अगर हमें किसी का मजाक उड़ाना होता है I तो हम कहते हैं कैसा बंदर जैसा मुख है I कैसे बंदर जैसे दांत दिखा रहा है I
हनुमान जी से किसी ने पूछा आप रूप बिगाड़ कर क्यों आए I तो हनुमान जी बोले यदि मैं रूपवान हो गया I तो भगवान पीछे रह जाएंगे I और में यह नहीं कर सकता I इस पर भगवान बोले चिंता मत करो I
हनुमान मेरे नाम से ज्यादा तुम्हारा नाम होगा I और हुआ भी ऐसा आज राम जी के मंदिर से ज्यादा हनुमान जी के मंदिर है I मेरे दरबार में सबसे पहले तुम्हारा दर्शन होगा I
“राम दुआरे तुम रखवारे“
अर्थात – मेरे दरबार में सबसे पहले आपके दर्शन होंगे I हनुमान जी के बिना प्रभु श्री राम के दर्शन नहीं होते I
अपना यश छोड़ना –
हम थोड़ा सा बड़ा और अच्छा काम करते हैं I तो चाहते हैं I पेपर में हमारी फोटो छपे और नाम छपे I हनुमान जी ने
कितने बड़े-बड़े काम किए पर यश स्वयं नहीं लिया I एक बार भगवान वानरों के बीच में बैठे थे सोचने लगे I
हनुमान तो अपने मुख से स्वयं कहेगा नहीं, भगवान हनुमान की बड़ाई करते हुए बोले I हनुमान तुमने इतना बड़ा सागर लांघा I जिसे कोई भी लांघ नहीं सकता I
हनुमान जी बोले ! प्रभु इसमें मेरी क्या बिसात I
“प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही”
आपके नाम की मुंदरी ने पार लगाया था I भगवान बोले अच्छा हनुमान चलो मेरी नाम की मुंदरी ने उसपार लगाया तो फिर जब तुम लौटे तो मुंदरी जानकी जी को दे आए थे I और लौटते समय तो मुंदरी आपके पास नहीं थी I
फिर किसने पार लगाया I इस पर हनुमान जी बोले प्रभु आपकी कृपा की मुंदरी ने उस पार किया I और माता सीता की चूड़ामणि ने इस पार किया I भगवान ने मुस्कुराते हुए पूछा और लंका कैसे जली I
हनुमान जी ने कहा प्रभु लंका को जलाया आपके प्रताप ने, लंका को जलाया रावण के पाप ने और लंका को जलाया मां जानकी के अभिश्राप ने I फिर भगवान ने मुस्कुराते हुए घोषणा की हे ! हनुमान तुमने यश छोड़ा है I इसलिए न जाने तुम्हारा यस कौन-कौन गायेगा
“सहस बदन तुम्हारो यश गावे”
अर्थात – यह सारा जगत तुम्हारा यश गायेगा I अंत में यह कहना है I जो इन तीनों नाम यश और रूप को छोड़ देता है I भगवान फिर उसे कभी नहीं छोड़ते सदा अपने साथ रख लेते हैं I
आखिर वृंदावन में मन वही छूट जाता है क्यों ?
अंतिम संस्कार क्यों किया जाता है ?
आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी