कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार हिंदी भजन
कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार हिंदी भजन
कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार,
कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
मोहे चाकर समझ निहार।
कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
तू जिसे चाहे ऐसी नहीं मैं
हा तेरी राधा जैसी नहीं मैं
फिर भी हूँ कैसी, कैसी नहीं मैं
कृष्ण मोहे देख तो ले एक बार
कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
बूंद ही बूंद मैं प्यार की चुनकर
प्यासी रही पर लाई हूं गिरधर
टूट ही जाए आस की गागर
मोहना ऐसी कांकरिया मत मार
कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
माटी करो या स्वर्ण बना लो
तन को मेरे चरणों से लगा लो
मुरली समझ हाथों में उठा लो
सोचो न कछु अब हे कृष्ण मुरारि
कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
मोहे चाकर समझ निहार।
चाकर समझ निहार।
चाकर समझ निहार।
कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
तेरे द्वार कान्हा कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार
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