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क्यों चढ़ाते हैं शनि देव को तेल और क्या सावधानी रखनी चाहिए

क्यों चढ़ाते हैं शनि देव को तेल और क्या सावधानी रखनी चाहिए

क्यों चढ़ाते हैं शनि देव को तेल और क्या सावधानी रखनी चाहिए

प्राचीन मान्यता है कि शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए हर शनिवार को शनि देव को तेल चढ़ाना चाहिए I जो व्यक्ति ऐसा करते हैं उन्हें साढ़ेसाती और ढैया में भी शनि की कृपा प्राप्त होती है I

लेकिन शनि देव को तेल क्यों चढ़ाते हैं I इसको लेकर हमारे ग्रंथों में अनेक कथाएं हैं I इनमें से सर्वाधिक प्रचलित कथा का संबंध रामायण काल और हनुमान जी से है I

प्रथम पौराणिक कथा :-

पौराणिक कथा इस प्रकार है ! शास्त्रों के अनुसार रामायण काल में एक समय शनि को अपने बल और पराक्रम पर घमंड हो गया था I उस काल में हनुमान जी के बल और पराक्रम की कीर्ति चारों दिशाओं में फैली हुई थी I Please Read Also-मनुष्य के लिए भगवान का साथ और विश्वास दोनों ही जरूरी है

जब शनि को हनुमान जी के संबंध में जानकारी प्राप्त हुई तो शनि बजरंगबली से युद्ध करने के लिए निकल पड़े I एक शांत स्थान पर हनुमान जी अपने स्वामी श्री राम की भक्ति में लीन बैठे थे I तभी वहां शनिदेव आ गए और उन्होंने बजरंगबली को युद्ध के लिए ललकारा I

युद्ध की ललकार सुनकर हनुमान जी ने शनिदेव को समझाने का प्रयास किया I लेकिन शनि नहीं माने और युद्ध के लिए आमंत्रित करने लगे I अंत में हनुमान जी भी युद्ध के लिए तैयार हो गए I दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ हनुमान जी ने शनि को बुरी तरह परास्त कर दिया I इक दिन वो भोले भंडारी बन कर हिंदी लिरिक्स

युद्ध में हनुमान जी द्वारा किए गए प्रहारों से शनिदेव के पूरे शरीर में भयंकर पीड़ा हो रही थी I इस पीड़ा को दूर करने के लिए हनुमान जी ने शनि को तेल दिया I इस तेल को लगाते ही शनिदेव की समस्त पीड़ा दूर हो गई I तभी से शनिदेव को तेल अर्पित करने की परंपरा प्रारंभ हुई I

शनि देव पर जो भी व्यक्ति तेल अर्पित करता है I उसके जीवन की समस्त परेशानियां दूर हो जाती है I और धन का आभाव खत्म हो जाता है I

द्वितीय पौराणिक कथा :-

जबकि एक अन्य कथा के अनुसार जब भगवान की सेना ने सागर पर सेतु बांध दिया I तब राक्षस इसे हानि न पहुंचा सके I उसके लिए पवनसुत हनुमान को उसकी देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी गई I जब हनुमानजी शाम के समय अपने इष्ट देव श्री राम के ध्यान में मग्न थे I

तभी सूर्य पुत्र शनि ने अपना काला कुरूप चेहरा बनाकर क्रोध पूर्ण कहा हे ! वानर में देवताओं में शक्तिशाली शनि हूँ I सुना है तुम भी बहुत बलशाली हो I आंखें खोलो और मेरे साथ युद्ध करो I मैं तुमसे युद्ध करना चाहता हूं I इस पर हनुमान जी ने विनम्रता पूर्वक कहा I

इस समय मैं अपने प्रभु को याद कर रहा हूं I आप मेरी पूजा में विघन मत डालिए I आप मेरे आदरणीय हैं I कृपा करके आप यहां से चले जाएंगे चले जाइए I जब शनिदेव लड़ने पर उतर आए I तो हनुमान जी ने अपनी पूंछ में लपेटना शुरू कर दिया फिर उन्हें कसना प्रारंभ कर दिया I ये भी पढें-सामर्थ्य अनुसार धन, ज्ञान,शिक्षा का सदुपयोग

और जोर लगाने पर भी शनि उस बंधन से मुक्त न होकर पीड़ा से व्याकुल होने लगे I हनुमान जी ने फिर सेतु की परिक्रमा कर शनिदेव के घमंड को तोड़ने के लिए पत्थरों पर पूंछ को झटका दे-देकर पटकना शुरू कर दिया I शनिदेव का शरीर लहूलुहान हो गया I जिससे उनकी पीड़ा बढ़ती गई I

तब शनिदेव ने हनुमान जी से प्रार्थना की I कि मुझे बंधन से मुक्त कर दीजिए I मैं अपने अपराध की सजा पा चुका हूं I फिर मुझसे ऐसी गलती कभी नहीं होगी I तब हनुमान जी ने जो तेल दिया, उसे घाव पर लगाते ही शनिदेव की पीड़ा मिट गई I

उसी दिन से शनिदेव को तेल चढ़ाया जाता है I जिससे उनकी पीड़ा शांत हो जाती है I और प्रसन्न हो जाते हैं I हनुमान जी की कृपा से शनि की पीड़ा शांत हुई थी I इसी वजह से शनि आज भी हनुमान जी के भक्तों पर विशेष कृपा बनाए रखते हैं I Please Read Also – नज़र में रहते हो मगर तुम नज़र नहीं आते लिरिस्क

शनि को तेल अर्पित करते समय ध्यान रखें यह बातें :

शनिदेव की प्रतिमा को तेल चढ़ाने से पहले तेल में अपना चेहरा अवश्य देखें I ऐसा करने पर शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है I धन संबंधी कार्यों में आ रही रुकावटें दूर हो जाती है I और सुख समृद्धि बनी रहती है I

शनिदेव पर तेल चढ़ाने से जुड़ी वैज्ञानिक मान्यताएं :

ज्योतिषी शास्त्र के अनुसार हमारे शरीर के सभी अंगों में अलग-अलग ग्रहों का वास होता है I यानी अलग-अलग अंगों के कारक ग्रह अलग-अलग हैं I

शनिदेव त्वचा, दांत, कान, हड्डियाँ और घुटनों के कारक ग्रह हैं I यदि कुंडली में शनि अशुभ हो I तो इन अंगों से संबंधित परेशानियां व्यक्ति को झेलनी पड़ती है I इन अंगों की विशेष देखभाल के लिए हर शनिवार तेल की मालिश की जानी चाहिए I

शनि को तेल अर्पित करने का यही अर्थ है I कि हम शनि से संबंधित अंगों पर भी तेल लगाएं I ताकि इन अंगों को पीड़ाओं से बचाया जा सके I मालिश करने के लिए सरसों के तेल का उपयोग सर्वश्रेष्ठ होता है I

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