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मनुष्य को नरक प्रदान करने वाले पाप कर्म कौन से हैं

मनुष्य को नरक प्रदान करने वाले पाप कर्म कौन से हैं

मनुष्य को नरक प्रदान करने वाले पाप कर्म कौन से हैं गरुड़ जी ने कहा ! हे केशव पापी मनुष्य किन पापों के कारण यमलोक के महामार्ग में जाते हैंI और किन पापों से वैतरणी में गिरते हैं I तथा किन पापों के कारण नरक में जाते हैं I वह मुझे बताइए !

श्री भगवान बोले – सदा पाप कर्मों में लगे हुए शुभ कर्म से विमुख प्राणी एक नरक से दूसरे नरक को एक दुःख के बाद दूसरे दुख को तथा एक भय के बाद दूसरे भय को प्राप्त होते हैं I धार्मिक जन धर्मराजपुर में तीन दिशाओं में स्थित द्वारों से जाते हैं I और पापी पुरुष केवल दक्षिण द्वार के मार्ग से ही जाते हैं I

इस महान दु:खदायी दक्षिण मार्ग में वैतरणी नदी है I उसमें जो पापी पुरुष जाते हैं, उन्हें मैं तुम्हें बताता हूं I जो ब्राह्मणों की हत्या करने वाले, सुरा पान करने वाले, गौघाती, बाल हत्यारे, स्त्री की हत्या करने वाले, गर्भपात करने वाले, गुप्त रूप से पाप करने वाले, और गुरु के धन को हरण करने वाले, देवता अथवा ब्राह्मण का धन हरण करने वाले, स्त्रीद्रव्यहारी, बालद्रव्यहारी है I

जो ऋण लेकर उसे न लौटाने वाले, धरोहर का अपमान करने वाले, विश्वासघात करने वाले, विष देकर मारने वाले, दूसरों के दोष को ग्रहण करने वाले, गुणों की प्रशंसा न करने वाले, गुणवानों के साथ दोष रखने वाले, नीचों के साथ संग रखने वाले, मूढ़, सत्संगति से दूर रहने वाले हैं I

जो तीर्थों, सज्जनों, सत्कर्म, गुरुजनों और देवताओं की निंदा करने वाले हैं I पुराण, वेद, मीमांसा, न्याय और वेदांत को दूषित करने वाले हैं I दु:खी व्यक्ति को देखकर प्रसन्न होने वाले, प्रसन्न को दुख देने वाले, दुर्बचन बोलने वाले तथा सदा दूषित चित्तवृत्ति रहने वाले हैं I

जो हितकर वाक्य और शास्त्रीय वचनों को कभी ना सुनने वाले, अपने को श्रेष्ठ समझने वाले, घमंडी, मूर्ख होते हुए अपने को विद्वान समझने वाले हैं I तथा अन्य बहुत पापों का अर्जन करने वाले, अधर्मी जीव रात-दिन रोते हुए यममार्ग में जाते हैं

यमदूतों के द्वारा पिटते हुए वे पापी वैतरणी की ओर जाते हैं I और उसमें गिरते हैं, ऐसे उन पापियों के विषय में मैं तुम्हें बताता हूं I जो मनुष्य अपने माता, पिता, गुरु, आचार्य तथा पूज्यजनों को अपमानित करते हैं I वे मनुष्य वैतरणी में डूबते हैं I जो पुरुष पतिव्रता, सच्चरित्र, उत्तम कुल में उत्पन्न, विनय से युक्त स्त्री को द्वेष के कारण छोड़ देते हैं I

वे वैतरणी में पढ़ते हैं, जो हजारों गुणों के होने पर भी सतपुरुषों में दोष का आरोपण करते हैं I और उनकी अवहेलना करते हैं, वे वैतरणी में जाते हैं I Please Read Also-मनुष्य शरीर प्राप्त करने की महिमा और यह कैसे प्राप्त होता है

जो मनुष्य वचन देखकर के ब्राह्मण को यथार्थरूप में दान नहीं देता है I और बुला कर के जो व्यक्ति “नहीं है” ऐसा कहता है I वह दोनों सदा वैतरणी में निवास करते हैं I स्वयं दी हुई वस्तु का अपहरण कर लेता है I दान देकर पश्चाताप करता है, जो दूसरे की आजीविका का हरण करता है I

दान देने से रोकता है, यज्ञ का विध्वंस करता है तथा भंग करता है I क्षेत्र की सीमा का हरण कर लेता है, और जो गोचर भूमि को जोतता है वह भी वैतरणी में जाता है I ब्राह्मण होकर रसविक्रय करने वाला, वृषलीका का पति (शूद्र स्त्री का ब्राह्मण पति), वेद प्रतिपादित यज्ञ के अतिरिक्त

अपने लिए पशुओं की हत्या करने वाला, ब्रह्मकर्म से च्युत, मांसभोजी, मद्य पीने वाला, उच्च श्रंखल स्वभाव वाला, शास्त्र के अध्ययन से रहित ब्राह्मण, वेद पढ़ने वाला शूद्र, कपिला का दूध पीने वाला शूद्र, यज्ञोपवीत धारण करने वाला शूद्र, ब्राह्मणी का पति बनने वाला शूद्र, राजमहिषी के

साथ व्यभिचार करने वाला, पराई स्त्री का अपहरण करने वाला, कन्या के साथ कामाचार की इच्छा रखने वाला तथा जो सतीत्व नष्ट करने वाला है I यह सभी तथा इसी प्रकार और भी बहुत निषिद्ध आचरण करने में उत्सुक तथा शास्त्र विहित कर्मों को त्यागने वाले मूढ़ जन बैतरणी में गिरते हैं I Please Read also-भगवान श्री राम और माता सीता की अद्भुत और अतुलनीय जोड़ी.

सभी मार्गों को पार करके पापी यम के भवन में पहुंचते हैं I और पुनः यमकी की आज्ञा से आकर दूत उन्हें बैतरणी में फेंक देते हैं I हे ! खगराज यह बैतरणी नदी (कष्ट प्रदान करने वाले) सभी प्रमुख नरकों में सर्वाधिक कष्टप्रद है I इसलिए यमदूत पापियों को उस बैतरणी नदी में फेंकते हैं I

जिसने अपने जीवन काल में कृष्णा (काली) गौ का दान नहीं किया अथवा मृत्यु के पश्चात जिसके उद्देश्य से बान्धवों द्वारा कृष्णा (काली गौ ) का दान नहीं दिया गया तथा जिसने अपनी औध्र्व दैहिक क्रिया नहीं कर ली या जिस के उद्देश्य से औध्र्व दैहिक क्रिया नहीं की गई हो वे बैतरणी में महान दुख भोग करके बैतरणी तटस्थित शाल्मली-वृक्ष में जाते हैं I

जो झूठी गवाही देने वाले, धर्म का पालन का ढोंग करने वाले, छल से धन का अर्जन करने वाले, चोरी द्वारा आजीविका चलाने वाले, अत्यधिक वृक्षों को काटने वाले, वन और वाटिका को नष्ट करने वाले, व्रत और तीर्थ का परित्याग करने वाले, विधवा के शील को नष्ट करने वाले हैं I

जो स्त्री अपने पति को दोष लगाकर परपुरुषों में आसक्त होने वाली है I यह सभी और इस प्रकार के अन्य पापी भी शाल्मली-वृक्ष द्वारा बहुत ताड़ना प्राप्त करते हैं I पीटने से नीचे गिरे हुए उन पापियों को यमदूत नरक में फेंक देते हैं I उन नरकों में जो पापी गिरते हैं उनके विषय में आओ मैं तुम्हें बतलाता हूं I

वेद की निंदा करने वाले नाश्तिक, मर्यादा का उल्लंघन करने वाले, कंजूस, विषयों में डूबे रहने वाले, दम्भी, धमनी तथा कृतघ्न मनुष्य निश्चय ही नरकों में गिरते हैं I जो कुआ, तालाब, बावली, देवालय तथा सार्वजनिक स्थान धर्मशाला आदि को नष्ट करते हैं, निश्चय ही नरक में जाते हैं I

स्त्रियों, छोटे बच्चों, नौकरों तथा श्रेष्ठजनों को छोड़कर एवं पितरों और देवताओं का परित्याग करके जो भोजन करते हैं, वे नर्क गामी होते हैं I जो मार्ग को कीलों से, पूलों से, लकड़ियों से तथा पत्थरों एवं कांटों से रोकते हैं निश्चय ही वे नर्क गामी होते हैं I

जो मंद पुरुष भगवान शिव, भगवती शक्ति, नारायण, सूर्य, गणेश, सदगुरु और विद्वान इनकी पूजा नहीं करते, वे नरक में जाते हैं

दासी को अपनी सैयापर आरोपित करने से ब्राह्मण अधोगति को प्राप्त होता है I और शूद्रों में संतान उत्पन्न करने से ब्राह्मणत्व से ही च्युत हो जाता है I वह ब्राह्मण कभी भी नमस्कार के योग्य नहीं होता, जो मूर्ख ऐसे ब्राह्मण की पूजा करते हैं वे नर्क गामी होते हैं I

दूसरों के कलह से प्रसन्न होने वाले जो मनुष्य ब्राह्मणों के कलह तथा गौओं की लड़ाई नहीं रुकवाते हैं I अथवा उसका समर्थन करते हैं I बढ़ावा देते हैं, वे अवश्य ही नरक में जाते हैं I

जिसका कोई दूसरा शरण नहीं है I ऐसी पतिपारायणा स्त्री के ऋतुकाल की द्वेषवश अपेक्षा करने वाले निश्चित ही नर्क गामी होते हैं I जो कामान्ध पुरुष रजस्वला स्त्री से गमन करते हैं I अथवा पर्व के दिनों (अमावस्या, पूर्णिमा) आदि में जल में, दिन में तथा श्राद्ध के दिन कामुक होकर स्त्री संग करते हैं I वे नर्क गामी होते हैं I

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जो मनुष्य अपने शरीर के मल को आग, जल, उपवन, मार्ग अथवा गौशाला में फेंकते हैं वह निश्चित ही नरक में जाते हैं I जो हथियार बनाने वाले, बाण और धनुष का निर्माण करने वाले तथा इनका विक्रय करने वाले हैं वे नर्क गामी होते हैं I

चमड़ा बेचने वाले वैश्य, केश (योनि) – का विक्रय करने वाली स्त्रियां तथा विषय का विक्रय करने वाले यह सभी नरक में जाते हैं I जो अनाथ के ऊपर कृपा नहीं करते हैं I सतपुरुषों से द्वेष करते हैं I और निरपराध को दंड देते हैं वे नर्क गामी होते हैं I

आशा लगाकर घर पर आए हुए ब्राह्मणों और याचिकों को पाकसंपन्न भोजन के बने रहने पर भी जो भोजन नहीं कराते वे निश्चय ही नरक प्राप्त करने वाले होते हैं I

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जो सभी प्राणियों में विश्वास नहीं करते और उन पर दया नहीं करते तथा जो सभी प्राणियों के प्रति कुटिलता का व्यवहार करते हैं वे निश्चय ही नर्क गामी होते हैं I जो अजितेंद्रिय पुरुष नियमों को स्वीकार कर के बाद में उन्हें त्याग कर देते हैं वे नर्क गामी होते हैं I

जो अध्यात्म विद्या प्रदान करने वाले गुरु को नहीं मानते और जो पुराणवक्ता को नहीं मानते वे नरक में जाते हैं I जो व्यक्ति मित्र से द्रोह करते हैं जो व्यक्तियों की आपसी प्रीति का भेदन करते हैं I और जो दूसरे की आशा को नष्ट करते हैं I वह निश्चय ही नरक में जाते हैं I

विवाह को भंग करने वाला, देव यात्रा में विघ्न करने वाला तथा तीर्थ यात्रियों को लूटने वाला घोर नर्क में वास करता है I और वहां से उसका पुनरावर्तन नहीं होता जो महा पापी घर, गांव तथा जंगल में आग लगाता है Iयमदूत उसे ले जाकर अग्निकुंड में पकाते हैं I

इस अग्नि से जले हुए अंग वाला वह पापी जब छाया की याचना करता है I तो यमदूत उसे असिपत्र नामक बन में ले जाते हैं I जहां तलवार के समान तीक्ष्ण पत्तों से उसके अंग जब काटे जाते हैं I तब यमदूत उसे कहते हैं- रे पापी शीतल छाया में सुख की नींद सो I


जब वह प्यास से व्याकुल होकर जल पीने की इच्छा से पानी मांगता है I तो दूतों के द्वारा उसे खौलता हुआ तेल पीने के लिए दिया जाता है “पानी पियो और अन्न खाओ” ऐसा कुछ उस समय उनके द्वारा कहा जाता है I उस अति उष्ण तेल के पीते ही उनकी आतें जल जाती हैं और वे गिर पड़ते हैं I

इसी प्रकार पुनः उठकर अत्यंत दीन की भाँति प्रलाप करते हैं I विवश होकर ऊर्ध्व स्वांस लेते हुए भी वे कुछ कहने में भी समर्थ नहीं होते हैं I

हे ताक्षर्य ! इस प्रकार पापियों की बहुत सी यातनायें बताई गई है I विस्तारपूर्वक कहने की क्या आवश्यकता है I इन के संबंध में सभी शास्त्रों में कहा गया है I

इस प्रकार हजारों नर नारी नारकीय यातनाओं को भोगते हुए प्रलय पर्यंत घोर नरकों में पकते रहते हैं I उस पाप का अक्षय फल भोगकर पुनः वही पैदा होते हैं और यम की आज्ञा से पृथ्वी पर आकर स्थावर आदि योनियों को प्राप्त होते हैं I

वृक्ष, गुल्म, लता, गिरी (पर्वत) तथा तृण आदि ये स्थावर योनियां कही गयी है I यह अत्यंत मोह से आवृत है I कीट, पशु, पक्षी, जलचर तथा देव इन योनियों को मिलाकर चौरासी लाख (8400000) योनियों कही गई है I

इन सभी योनियों में घूमते हुए जीव मनुष्य योनि को प्राप्त करते हैं I और मनुष्य योनि में भी नरक से आए व्यक्ति चांडाल के घर में जन्म लेते हैं I तथा उसमें भी (कुष्ठ आदि) पाप चिन्हों से बहुत दुखी रहते हैं I किसी को गलित कुष्ठ हो जाता है I कोई जन्म से अंधे होते हैं I और कोई महा रोग से व्यथित होते हैं I इस प्रकार पुरुष और स्त्री में पाप चिन्ह दिखाई पड़ते हैं I

मनुष्य के लिए भगवान का साथ और विश्वास दोनों ही जरूरी है

Categories: Puran

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