मेरी झोली छोटी पड़ गई रे इतना दिया मेरी माता।
मेरी झोली छोटी पड़ गई रे इतना दिया मेरी माता,
मेरी बिगड़ी मां ने बनायीं, सोयी तकदीर जगायी,
ये बात ना सुनी सुनाई, मैं खुद बीती बतलाता,
मुझे इतना दिया मेरी माता,
मेरी झोली छोटी पड़ गई रे इतना दिया मेरी माता।
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मान मिला सम्मान मिला, गुणवान मुझे संतान मिली,
धन धान मिला नित ध्यान मिला, मां से ही मुझे पहचान मिली,
घरवार दिया मुझे मां ने, बेशुमार दिया मुझे मां ने,
हर बार दिया मुझे मां ने, जब-जब मैं मांगने जाता,
मुझे इतना दिया मेरी माता,
मेरी झोली छोटी पड़ गई रे इतना दिया मेरी माता।
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मेरा रोग कटा, मेरा कष्ट मिटा, हर संकट मां ने दूर किया,
भूले से जो कभी गुरुर किया, मेरे अभिमान को चूर किया,
मेरे अंग संग हुई सहाई, भटके को राह दिखाई,
क्या लीला मां ने रचाई, मैं कुछ भी समझ न पाता,
मुझे इतना दिया मेरी माता,
मेरी झोली छोटी पड़ गई रे इतना दिया मेरी माता।
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उपकार करे भवपार करे, सपने सबके साकार करे,
ना देर करे मां मेहर करे, भक्तों के सदा भंडार भरे,
महिमा है निराली मां की, दुनिया है सवाली मां की,
जो लगन लगा ले मां की, मुश्किल में नहीं घबराता,
मुझे इतना दिया मेरी माता,
मेरी झोली छोटी पड़ गई रे इतना दिया मेरी माता।
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कर कोई जतन ऐ चंचल मन, तू होके मगन चल मां के भवन,
पा जाये नयन पावन दर्शन, हो जाये सफल फिर ये जीवन,
तू थाम ले मां का दामन, ना चिंता रहे ना उलझन,
दिन रात मनन कर सुमिरन, चाकर मां का कहलाता,
मुझे इतना दिया मेरी माता,
मेरी झोली छोटी पड़ गई रे इतना दिया मेरी माता।
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मेरी झोली छोटी पड़ गई रे इतना दिया मेरी माता,
मेरी बिगड़ी मां ने बनायीं, सोयी तकदीर जगा जगायी,
ये बात ना सुनी सुनाई, मैं खुद बीती बतलाता,
मुझे इतना दिया मेरी माता,
मेरी झोली छोटी पड़ गई रे इतना दिया मेरी माता।
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आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी