Table of Contents
नित्य सूर्य पूजा कैसे करनी चाहिए?
नित्य सूर्य पूजा कैसे करनी चाहिए? :
महातेज, मार्तण्ड, मनोहर, महारोगहर।
जयति सूर्यनारायण, जय जय सर्व सुखाकर।
Table of Contents
नित्य सूर्य पूजा कैसे करनी चाहिए? :
महातेज, मार्तण्ड, मनोहर, महारोगहर।
जयति सूर्यनारायण, जय जय सर्व सुखाकर।
भगवान सूर्य साक्षात् परमात्मा का स्वरूप हैं। सूर्योपनिषद में सूर्य को ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र का स्वरूप माना गया है। ऐसा माना जाता है कि उदय के समय सूर्य ब्रह्मारूप में होते हैं, दोपहर के समय सूर्य विष्णु के रूप में होते हैं और शाम के समय रुद्र के रूप में होते हैं, जो संसार का अंत करते हैं।
संसार के अंधकार को दूर करने और मनुष्य को कर्म करने की प्रेरणा देने के लिए नारायण के रूप में भगवान सूर्य प्रतिदिन प्रात:काल इस धरती पर उदित होते हैं। इसलिए उनके स्वागत के लिए मनुष्य को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके शुद्ध वस्त्र पहनकर तैयार हो जाना चाहिए।
शास्त्रों में सूर्य पूजा सूर्योदय के समय सर्वोत्तम बताई गई है, इसलिए सुबह जितनी जल्दी हो सके सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए या सूर्योदय के समय सूर्य को नमस्कार करने से भी अत्यन्त शुभ फलों की प्राप्ति होती है। कई जन्मों से बुला रही हूँ हिंदी लिरिक्स।
तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें रक्तचंदन (अथवा चंदन), कुमकुम, चावल, करवीर (कनेर) या लाल फूल मिलाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के कई मंत्र हैं, जो भी मंत्र सुविधाजनक लगे, उससे अर्घ्य दिया जा सकता है –
ॐ सूर्याय नम: या ॐ घृणि: सूर्याय नम: इन मन्त्रों से भगवान सूर्य को अर्घ्य दे सकते हैं। तीन बार गायत्री मंत्र का जाप करके भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जा सकता है।
ॐ घृणि: सूर्य आदित्योम् : इस मन्त्र से भी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
आप निम्न श्लोक का उच्चारण करके सूर्य को अर्घ्य दे सकते हैं:
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर ।।
भगवान सूर्य को अर्घ्य किसी पात्र में या गमले में अर्पण करना चाहिए। अर्घ्यजल पैरों पर नहीं आना चाहिए। अर्घ्य देने के बाद उसी स्थान पर घूमना चाहिए और सूर्य की परिक्रमा करनी चाहिए।
बारह नामों का उच्चारण करके भगवान सूर्य को नमस्कार करें।
ॐ मित्राय नम: I ॐ रवये नम: I ॐ सूर्याय नम: I ॐ भानवे नम: I ॐ खगाय नम: I ॐ पूष्णे नम: I ॐ हिरण्यगर्भाय नम: I ॐ मरीचये नम: I ॐ आदित्याय नम: I ॐ सवित्रे नम: I ॐ अर्काय नम: I ॐ भास्कराय नमो नम: I
सूर्य गायत्री मंत्र : सूर्य की विशेष उपासना के लिए प्रतिदिन सूर्य गायत्री-मंत्र की एक माला का जाप किया जा सकता है :-
ॐ आदित्याय विद्महे सहस्त्रकिरणाय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।
अर्थात – हम भगवान आदित्य को जानते हैं और उनकी पूजा करते हैं, सहस्त्र किरणों वाले भगवान सूर्यनारायण का ध्यान करते हैं, वे सूर्य भगवान हमें प्रेरणा प्रदान करें।
रोगों से मुक्ति के लिए सूर्य मंत्र, जटिल रोगों से मुक्ति के लिए सूर्य का एक विशेष अष्टाक्षर मंत्र है, जिसकी एक माला प्रतिदिन सूर्य की ओर मुख करके जप करने से भयंकर रोग दूर होते हैं और दरिद्रता का नाश होता है – ॐ घृणि: सूर्य आदित्योम्।
विभिन्न पूजा – उपचारों के फल, शास्त्रों में विभिन्न प्रकार से सूर्य पूजा करने के फल बताये गये है। लाल वर्ण के (लाल चंदन या रोली) जल से अर्घ्य देने और कमल के पुष्प से सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति को स्वर्ग का सुख प्राप्त होता है। सूर्य देव को गुग्गुल की धूप निवेदित करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। मंदार के पुष्पों से सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति सूर्य के समान तेजस्वी हो जाता है। आध्यात्मिक जागृति और शक्ति के प्रकार क्या हैं।
यदि सूर्य पूजा के लिए पुष्प उपलब्ध न हो तो शुभ वृक्षों के कोमल पत्तों तथा दूर्वा से भी सूर्य पूजा की जा सकती है। यदि यह संभव न हो तो भी यदि हम केवल सूर्य का नाम लेकर उन्हें प्रणाम करें तो सूर्य देव प्रसन्न हो जाते हैं। सूर्यदेव भगवान की पूजा करने से धन-धान्य और संतान की वृद्धि होती है।
मनुष्य निष्काम हो जाता है और अंततः सद्गति प्राप्त होती है। भगवान सूर्य के प्रसन्न होने पर राजा, चोर, ग्रह, शत्रु आदि कष्ट नहीं देते और दरिद्रता नहीं होती तथा सभी दुःख दूर हो जाते हैं। भगवान सूर्य की पूजा करने वाले व्यक्ति को राग, द्वेष, झूठ और हिंसा से दूर रहना चाहिए। एक नास्तिक कैसे बन गया भगवान श्री राम का भक्त?
यदि कोई व्यक्ति दूषित और दुखी मन से भगवान सूर्य को सब कुछ अर्पित करता है, तो भी भगवान आदित्य उससे प्रसन्न नहीं होते हैं। परंतु यदि सच्चे मन से केवल जल ही अर्पित किया जाए तो सूर्य पूजा का दुर्लभ फल प्राप्त होता है।
भक्ति ज्ञान (bhaktigyaan.com) हिंदी भजनों को समर्पित एक वेबसाइट है। इसके माध्यम से हम कई तरह के भजन साझा करते हैं। इसके साथ ही हम नियमित रूप से आध्यात्मिक, भक्ति और अन्य ज्ञान भी साझा करते हैं।