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पिता का प्यार और पुत्र के प्यार में क्या अंतर होता है

पिता का प्यार और पुत्र के प्यार में क्या अंतर होता है : पापा पापा मुझे चोट लग गई खून आ रहा है I पाँच साल के बच्चे के मुंह से सुना था कि पापा सब छोड़कर गोदी में उठाकर एक किलोमीटर की दूरी पर डॉक्टर के पास भागकर ही पहुंच गए I

दुकान कैश काउंटर पर नौकर के भरोसे छोड़ आए I सीधा डॉक्टर के केबिन में दाखिल होते हुए डॉक्टर को बोले ! देखिए डॉक्टर साहब मेरे बेटे को क्या हो गया I डॉक्टर साहब ने देखते हुए I यह भी पढ़ें – रिश्तो को भी परखें,जरूरी नहीं जो सगे सम्बन्धी प्रेम का दिखावा करते हैं वह वास्तव में आपके साथ है

अरे भाई साहब घबराने की कोई बात नहीं है मामूली चोट है I ड्रेसिंग कर दी है I चोट जल्दी ठीक हो जाएगी I डॉक्टर साहब कुछ पेन किलर लिख देते तो दर्द कम हो जाता I अच्छी से अच्छी दवाइयां लिख देते I ताकि जल्दी ठीक हो जाए घाव जल्दी भर जाए I

डॉक्टर-अरे भाई साहब इतना क्यों परेशान हो रहे हो I कुछ नहीं हुआ है कि चार दिन में ठीक हो जाएगा I बच्चे को लेकर लौटे ! तो नौकर बोला सेठ जी आपका ब्रांडेड महंगा शर्ट खराब हो गया I खून लग गया अब यह दाग नहीं निकलेंगे I

कोई नहीं ऐसे शर्ट बहुत आएंगे जाएंगे I मेरे बेटे का खून बह गया I चिंता खाए जा रही है कमजोर नहीं हो जाए I तू एक काम कर थोड़े सूखे मेवे ले आ I इसे खिलाना पड़ेगा और मैं इसको लेकर घर चलता हूं I यह भी पढ़े – आखिर वृंदावन में मन वही छूट जाता है क्यों ?

40 साल बाद:

दुकान शोरूम में तब्दील हो गई थी I भाई साहब का बेटा व्यापार को वखूबी संभाल रहा था I भाई साहब रिटायर्ड हो चुके हैं I घर पर भी रहते थे तभी घर से बेटे की बीवी का फोन आता है I

बीवी ! अजी सुनते हो यह आपके पापा पलंग से गिर गए हैं I सर पर से काफी खून आ रहा है I लड़का अरे यार यह पापा भी ना उनको बोला है जमीन पर सो जाया करो I पर मानते ही नहीं पलंग पर ही सोते हैं I

अरे रामू काका जाओ घर पर पापा को डॉक्टर अंकल के पास लेकर जाओ I मैं आता हूं सीधा हॉस्पिटल वहीं पर ! बूढ़े हो चुके रामू काका धीरे चल कर घर जाते हैं तब तक सेठ जी का काफी खून बह चुका था I

बहु मुँह चढ़ाकर बोली ले जाओ जल्दी पूरा महंगा कालीन खराब हो गया है I काका जैसे तैसे जल्दी से रिक्शा में सेठ जी को डालकर क्लीनिक ले गए I बेटा अब तक नहीं पहुंचा था काका ने फोन किया तो बोला ! अरे यार वह कार की चाबी नहीं मिल रही थी I अभी मिली है थोड़े कस्टमर भी हैं I आप लेकर बैठो मैं आता हूं I

जो दूरी 40 साल पहले एक बार अपने बेटे के सर पर खून देखकर बेटे को गोदी में उठाकर भाग कर 10 मिनट में तय कर ली थी I उतनी दूरी बेटा 1 घंटे में कार से भी तय नहीं कर पाया था I यह भी पढ़ें श्री कृष्णाष्टकम एवं कृपा कटाक्ष स्तोत्र

डॉक्टर ने जैसे ही भाई साहब को देखा ! इनको अंदर ले जाकर इलाज चालू किया I तब तक बेटा भी पहुंच गया डॉक्टर अंकल बोले ! बेटे खून बहुत बह गया है I एडमिट करना पड़ेगा I बेटा अरे कुछ नहीं डॉक्टर साहब आप ड्रेसिंग कर दो ठीक हो जाएगा दो-चार दिन में I

डॉक्टर अंकल बोले ठीक है I कुछ दवाइयां लिख देता हूं I थोड़ी महंगी है लेकिन आराम जल्दी से हो जाएगा I डॉक्टर अंकल चलेगा चार-पांच दिन ज्यादा लगेंगे I तो इतनी महंगी दवाइयों की क्या जरूरत I

चलो ! मुझे निकलना पड़ेगा शोरूम पर कोई नहीं है I यह सुनते ही डॉक्टर अंकल के सब्र का बांध टूट गया और 40 साल पहले कि उसे पूरी घटना सुनाई और उसे एहसास करवाया I कि वह तुमसे कितने स्नेह करते हैं और तुम…………I

भावार्थ – सज्जनों यह आज की सच्चाई है I आज हमारे अंदर का इंसान मर चुका है I मां-बाप अकेलेपन का जीवन जी रहे हैं और बच्चे कामयाबी और दौलत की चकाचौंध में सब कुछ भूल चुके हैं I यह भी पढ़ें – अंतिम संस्कार क्यों किया जाता है ?

न तो उन्हें परिवार दिखाई देता है ना अपने मां-बाप दिखाई देते हैं I और दिखाई देती है सिर्फ दौलत ! कोई किसी का नहीं है I इस संसार में सब दौलत के भूखे हैं I अतः इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है की अपने सगे संबंधियों और मां बाप से बढ़कर कोई भी दौलत नहीं है I

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