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प्राचीन शीतला माता मन्दिर कहाँ पर स्थित हैं।

प्राचीन शीतला माता मन्दिर कहाँ पर स्थित हैं।

प्राचीन शीतला माता मन्दिर कहाँ पर स्थित हैं।-प्राचीन शीतला माता के भक्त देश-विदेश में हर जगह मौजूद हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि शीतला माता मंदिर का उदय प्राचीन शीतला माता मंदिर से हुआ है। यहां पर सबसे पहले शीतला माता की पत्थरनूमा तस्वीर निकली और पुराने समय से ही यहां पर शीतला माता की पूजा होती रही है।

प्राचीन शीतला माता का मंदिर अरावली पहाड़ियों के मध्य स्थित होने के कारण मंदिर तक पहुँचने में कठिनाई होने के कारण भक्तों ने वहाँ से शीतला माता का आधा तस्वीर को हटाकर शीतला माता गुड़गांव में स्थापित कर दिया। जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आस्था से साथ दर्शन करते हैं। जबकि प्राचीन शीतला माता मंदिर जहां आज भी शीतला माता का आधा शरीर विराजमान है।

प्राचीन शीतला माता मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की आस्था प्राचीन शीतला माता मंदिर से आज भी जुड़ी हुई है। और मन्नत मांगने मुश्किलों के साथ यहां पहुंचते है। इतिहास से निकाली गई जानकारी से प्राचीन शीतला माता मंदिर के बारे में कुछ तथ्य मिले हैं। श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हिंदी भजन लिरिक्स

क्या है प्राचीन शीतला माता मंदिर का इतिहास :

प्राचीन काल में ग्राम नाथूपुर के पास अरावली की पहाड़ियों में शीतला माता की एक पत्थरनूमा तस्वीर उभरी, तो आसपास के ग्रामीणों ने यहां पूजा करनी शुरू कर दी। मंदिर तक जाने के लिए अरावली की पहाड़ियों तक पहुंचना भक्तों के लिए बेहद मुश्किल काम था। लेकिन फिर भी उनकी आस्था उन्हें मंदिर तक ले जाने लगी।

रास्ता कठिन होने के कारण कुछ भक्तों ने यहां से शीतला माता की आकृति का ऊपरी हिस्सा उठाकर गुड़गांव गांव में स्थापित कर दिया। जहां लाखों श्रद्धालु शीतला माता के नाम से पूजा अर्चना करते हैं। लेकिन आकृति का ऊपरी भाग ले जाने के बाद निचला हिस्सा प्राचीन शीतला माता मंदिर में ही रह गया। हे भोले शंकर पधारो हिंदी भजन लिरिक्स

इसलिए इसका नाम शीतला माता मंदिर से प्राचीन शीतला माता मंदिर पड़ गया। यहां आज भी शीतला माता के पैर और आधा शरीर आकृति में विद्यमान है। जानकारों की मानें तो आज भी प्राचीन शीतला माता मंदिर के दर्शन किए बिना शीतला माता के दर्शन पूरे नहीं होते। इसलिए यहां पर भी काफी संख्या में अब श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचने लगे है।

1980 ग्रामीणों की पहल पर में मंदिर का पुनरुद्धार हुआ :

1980 में ग्रामीणों ने प्राचीन शीतला माता मंदिर से माता की आधी मूर्ति यहां से जाने के बाद सुनसान हुए मंदिर को आधुनिक बनाने का निर्णय लिया। और यहाँ एक चबूतरा वनवा दिया। उसके बाद हर साल किसी न किसी भक्त द्वारा मांगी गई मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में निर्माण कराया जाता है। वर्तमान में प्राचीन शीतला माता के अलावा हनुमान और शिव के लिए अलग-अलग स्थान बनाए गए हैं।

गरम पानी का चश्मा मुख्य आकर्षण का केन्द्र :

अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित प्राचीन शीतला माता मंदिर में गर्म पानी का चश्मा लंबे समय तक लोगों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा। लेकिन शीतला माता मंदिर के अलग बनने के बाद व प्राचीन शीतला माता मंदिर के पहाड़ी से सटे होने के कारण से यहां पर श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आ गई। इसके बाद न तो जिला प्रशासन और न ही स्थानीय लोगों ने इस पर ध्यान दिया। यही वजह थी कि दस साल पहले इस गर्म पानी का चश्मा यहां से बंद बंद हो गया। श्री खाटू श्याम मंदिर के दर्शन एवं यात्रा की पूरी जानकारी

ट्रस्ट कर रहा है तीन साल से देखभाल :

मंदिर की साफ-सफाई और रख-रखाव को ध्यान में रखते हुए ग्रामीणों ने खुद मंदिर के लिए एक ट्रस्ट बना दिया है। जो अब मंदिर में सभी व्यवस्थाओं को देखता है और मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए हर तरह की व्यवस्था कराई जाती है। ट्रस्ट के पदाधिकारी जयसिंह का कहना है कि अरावली पहाड़ी से सटे इस मंदिर में लोग मन से जो भी मांगते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है।

मंदिर में हर समय दो पंडित रहते हैं। :

प्राचीन शीतला माता मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को मां व मंदिर की जानकारी देने के लिए मंदिर में हर समय दो पंडित रहते हैं। जो मंदिर में आने वाले भक्तों को मंदिर में पूजा कराते हैं।

नवरात्रों में भंडारा चलता है :

प्राचीन शीतला माता मंदिर में नवरात्रों के दौरान भंडारे आयोजित किए जाते हैं। स्थानीय लोग इन भंडारों में अपना पूरा सहयोग देते हैं और दूर-दराज के इलाकों से भी मां के भक्त दर्शन करने आते हैं।

प्राचीन शीतला माता मंदिर अंग्रेजों के समय से जाना जाता है।:

नाथूपुर के पास अरावली पहाड़ियों में स्थित प्राचीन शीतला माता मंदिर का ब्रिटिश शासन के दौरान काफी अधिक महत्व था। पुराने बुजुर्गों की माने तो अंग्रेजों ने दिल्ली से यहां तक रेलवे लाइन बिछाने की योजना भी तैयार की थी। इस पर कुछ काम भी हुआ था, लेकिन बाद में यह लोप हो गई। यहां बहने वाले गर्म पानी के चश्मे के कारण यह स्थान अंग्रेजों के लिए अधिक महत्वपूर्ण था।

पता : शीतला माता रोड, सेक्टर 6, गुरुग्राम, हरियाणा 122001, (Sheetla Mata Road, Sector 6, Gurugram, Haryana 122001)

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