प्रेम की अटपटी बोली-गोपिकागीतम्

प्रेम की अटपटी बोली-गोपिकागीतम्

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प्रेम की अटपटी बोली (श्रीकृष्णचरितामृतम्) – गोपिकागीतम्:- उस गोपी के मुख से ये सुनते ही श्रीराधारानी हँसी। कुछ भी ! कुछ भी कह रही हो ! श्रीराधा ने कहा ! नही हम सच कह रही हैं। तभी तो कमल भी इनसे कपट करता है। और जब इनको अपने समीप आते हुए देखता है। तो गहरे जल में चला जाता है। अपनी बची कुची शोभा को बचाने के लिये।

पर हम कपटी नही हैं। हमारे साथ तुम कपट करते हो ! हम तो जैसी हैं वैसी ही रहती हैं तुम्हारे सामने। हमें पता है कि तुम हमसे भी सबकुछ छीन लोगे, हमारा सब कुछ चुरा लोगे। गोपी के मुख से ये सुनकर श्रीराधा जोर से हंसतीं हैं। Please Read-धारा तो बह रही है श्री राधा नाम की हिंदी भजन

चुरा लिया सखी ! सबकुछ चुरा लिया। हमारा धर्म, हमारी मर्यादा, हमारा शील, हमारी लज्जा, अरे ! हमारी सुख शान्ति सबकुछ चुरा लिया उसने पर ना ! हम कमल की तरह नही हैं हम छुपती नही हैं। हम भी अहीर की छोरियाँ हैं डरती नही हैं। हम जानती हैं प्यारे !

हम तो तुम्हारी बिना मोल की दासी हैं क्यों हमें मार रहे हो ! पर प्यारे कहाँ मार रहे हैं ? कहाँ वध किया है उन्होंने हमारा ? श्रीराधारानी भोलेपन पूछती हैं। भाव-समुद्र में डूबीं हुयीं वो गोपियाँ कहती हैं। श्रीजी ! आपको क्या लगता है शस्त्र से मारना ही मारना होता है ! वो तो अच्छा वध है कि कमसे कम एक ही बार में वो मर तो जाता है।

तलवार से काट दो तो तड़प भी नही एक ही बार में खतम। पर यहाँ ? यहाँ तो मर भी रही हैं और तड़प भी रही हैं। तड़प ऐसी है कि लगता है मर ही जाएँ मरना बहुत सुखद होगा, इस तड़प से तो पर तुम हो ऐसे कि मरने में भी नही देते। किस शस्त्र से मारा है तुमको श्यामसुन्दर ने ? श्रीजी भावोन्माद में भरकर पूछती हैं। Please Read-वृंदावन के ओ बांके बिहारी हमसे पर्दा करो ना मुरारी भजन

नयनों से, इसके कटीले नयन लाखों कटार से भी तेज हैं। शस्त्र क्या वध करेंगे किसी का इसके नयन कटारी से जो मरता है वो तो पानी भी नही माँगता। ओह ! तुम्हे क्या लगता है, तुम नयनों से हमें चुपके-चुपके मार दोगे और समाज को पता भी न चलेगा तो गलत सोच रहे हो तुम ! Please Read-मेरा जी करता है श्याम के भजनों में खो जाऊं लिरिक्स

हे सुरतनाथ ! हमनें तुमसे प्रार्थना की थी कि हमसे रास करो और तुमने हां कहा था। इस बात को सब जानते हैं। हम तो भोली भाली हैं हमें क्या पता था कि तुमने हमारा वध करने के लिये ये सब किया।

पर तुम बच नही सकते सबको पता है। सबको मालुम है। पर ये अच्छी बात तो नही है ना ? हम अबलाओं का वध करना अच्छी बात है क्या ? नेह किं वधः श्रीजी इस गोपी का ये भावोन्माद देखकर फिर हा प्रिय कहकर रुदन करने लगीं थीं ।



आखिर इस संसार में सुख किसे है

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