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श्री सरस्वती वंदना श्लोक लिरिक्‍स संस्कृत में

श्री सरस्वती वंदना श्लोक लिरिक्‍स संस्कृत में

श्री सरस्वती वंदना श्लोक लिरिक्‍स संस्कृत में :

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥

श्लोक अर्थ – जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर शङ्कर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही सम्पूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें।

Meaning – Salutations to Devi Saraswati, Who is pure white like Jasmine, with the coolness of Moon, brightness of Snow and shine like the garland of Pearls; and Who is covered with pure white garments, Whose hands are adorned with Veena (a stringed musical instrument) and the boon-giving staff; and Who is seated on pure white Lotus, Who is always adored by Lord Brahma, Lord Acyuta (Lord Vishnu), Lord Shankara and other Devas, O Goddess Saraswati, please protect me and remove my ignorance completely.

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