सुन लीजो बिनती मोरी मीरा
सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी।
सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी।।
तुम तो पतित अनेको उधारे, भव सागर से तारे,
तुम तो पतित अनेको उधारे, भव सागर से तारे।
मैं सबका तो नाम न जानूं कोइ-कोई नाम उचारे,
मैं सबका तो नाम न जानूं कोइ-कोई नाम उचारे।।
अम्बरीष सुदामा नामा, तुम पहुँचाये निज धामा।
अम्बरीष सुदामा नामा, तुम पहुँचाये निज धामा।
सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी।
सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी।।
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ध्रुव जो पाँच वर्ष के बालक, तुम दर्श दिये घनस्यामा,
धना भक्त का खेत जमाया, कबिरा का बैल चराया।
सबरी का झूंठा फल खाया, तुम काज किये मन भाया,
तुम काज किये मन भाया !
सदना औ सेना नाई को तुम कीन्हा अपनाई,
करमा की खिचड़ी खाई, तुम गणिका पार लगाई।
मीरा प्रभु तुमरे रंग राती, या जानत सब दुनियाई।।
सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी।
सुण लीजो बिनती मोरी, मैं शरण गही प्रभु तेरी।
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श्री कृष्ण के बहुत ही मनमोहक भजन रविंद्र जैन जी द्वारा रचित
आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी