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विधना तेरे लेख किसी की समझ ना आते हैं।

विधना तेरे लेख किसी की समझ ना आते हैं। वात्सल्य के आनदं से बंचित अकेला रह गया,अन्याय अपने पर किया और मौन रह कर सह गया।सुख का सुहाना स्वप्न जाने…

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