वृंदावन बांके बिहारी जी प्रकट कैसे हुए।

वृंदावन बांके बिहारी जी प्रकट कैसे हुए।

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वृंदावन बांके बिहारी जी प्रकट कैसे हुए। :

वृंदावन में बांके बिहारी जी का एक भव्य मंदिर है। इस मंदिर में बांके बिहारी जी की काले रंग की एक प्रतिमा है। इस प्रतिमा के विषय में मान्यता है कि इस प्रतिमा में साक्षात् श्री कृष्ण और राधा समाए हुए हैं। इसलिए इनके दर्शन मात्र से राधा कृष्ण के दर्शन का फल मिल जाता है।

बांके बिहारी की इस प्रतिमा के प्रकट होने की कथा और लीला बहुत ही रोचक और अद्भुत है। इसलिए हर साल मार्गशीर्ष मास की पंचमी तिथि को बांके बिहारी मंदिर में बांके बिहारी प्रकटोत्सव मनाया जाता है। संगीत सम्राट तानसेन के गुरू स्वामी हरिदास जी भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे। ये भी पढें –श्री राम और शिवजी के बीच युद्ध हुआ क्या आप जानते हैं।

इन्होंने अपने संगीत को भगवान को समर्पित कर दिया था। वृंदावन में स्थित श्री कृष्ण की रासस्थली निधिवन में बैठकर भगवान को अपने संगीत से रिझाया करते थे। भगवान की भक्ति में डूबकर श्री हरिदास जी जब भी गाने बैठते तो प्रभु में ही लीन हो जाते। इनकी भक्ति और गायन से रिझकर भगवान श्री कृष्ण इनके सामने आ जाते। ये भी पढें –वृन्दावन धाम की महिमा अतुलनीय है

हरिदास जी मंत्रमुग्ध होकर श्री कृष्ण को दुलार करने लगते। एक दिन इनके एक शिष्य ने कहा गुरु जी कि आप अकेले ही श्री कृष्ण का दर्शन लाभ पाते हैं, हमें भी सांवरे सलोने का दर्शन करवाएं। इसके बाद श्री हरिदास जी श्री कृष्ण की भक्ति में डूबकर भजन गाने लगे।

राधा कृष्ण की युगल जोड़ी प्रकट हुई और अचानक हरिदास के स्वर में बदलाव आ गया और गाने लगे-

भाई री सहज जोरी प्रकट भई,
जुरंग की गौर स्याम घन दामिनी जैसे।
प्रथम है हुती अब हूं आगे हूं रहि है न टरि है तैसे।।
अंग अंग की उजकाई सुघराई चतुराई सुंदरता ऐसे।
श्री हरिदास के स्वामी श्यामा पुंज बिहारी सम वैसे वैसे।।

श्री कृष्ण और राधा ने हरिदास के पास रहने की इच्छा प्रकट की। हरिदास जी ने कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं तो संत हूं। आपको लंगोट पहना दूंगा लेकिन माता को नित्य आभूषण कहां से लाकर दूंगा। भक्त की बात सुनकर श्री कृष्ण मुस्कुराए और राधा कृष्ण की युगल जोड़ी एकाकार होकर एक विग्रह रूप में प्रकट हुई।

हरिदास जी ने इस विग्रह को बांके बिहारी नाम दिया। कहा जाता है कि स्वामी श्री हरिदास को बांके बिहारी जी के दर्शन हुए थे। तब यह प्रतिमा निधिवन में थी, पर गोस्वामियों के एक वर्ष बाद इस मंदिर को बनवाने के बाद इस प्रतिमा को इस मंदिर मे प्रतिष्ठापित किया गया। ये भी पढें –दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी लिरिक्स

बांके बिहारी मंदिर में इसी विग्रह के दर्शन होते हैं। बांके बिहारी के विग्रह में राधा कृष्ण दोनों ही समाए हुए हैं। जो भी श्री कृष्ण के इस विग्रह का दर्शन करता है उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान श्री कृष्ण अपने भक्त के कष्टों को दूर कर देते हैं।



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