आखिर मन वृंदावन में क्यों छूट जाता है ? वृंदावन आखिर है क्या ? लोग क्यों यहां एक बार आकर केवल तन से वापस आते हैं I मन वही छूट जाता है I वृंदावन श्री राधिका जी का निज धाम है I विद्दान जन श्री धाम वृंदावन का अर्थ इस प्रकार भी करते हैं I
“वृंदस्य अवनं रक्षणं यत्र तत्र वृन्दावनं ”
श्री राधा रानी अपने भक्तों की दिन-रात रक्षा करती हैं I उसे वृंदावन कहते हैं I वृंदावन तीर्थों का राजा है I कृष्ण और वृंदावन एक-दूसरे का पर्याय हैं I दोनों एक है I अलग नहीं I Please Read Also-देना हो तो दीजिये जनम जनम का साथ हिंदी लिरिक्स
जिस प्रकार श्रीमद्भागवत गीता और भगवान की वाणी एक है I उसी प्रकार कृष्ण और उनका यह प्रेममय, रसमय, चिन्मय धाम दोनों अभेद हैं I
सूरदास जी ने वृंदावन धाम की रज की महिमा का गुणगान करते हुए यह पद भी लिखा कि –
हम ना भई वृंदावन रेणु,
तिन चरनन डोलत नंद नंदन नित प्रति चरावत धेनु II
हम ते धन्य परम ये द्रुम वन बाल बच्छ अरु धेनु I
सूर सकल खेलत हँस बोलत संग मध्य पीवत धेनू II
आप कभी भी अनुभव कर सकते हैं I कि वृंदावन की भूमि पर कदम रखते ही शरीर से में एक रोमांच होने लगता हैI जो वापस वहां से दूर हटते ही समाप्त हो जाता है I
किसी भी धाम में जाइए I ऐसा अनुभव आपको कहीं नहीं होगा I हमारे श्रवणकर्ण भी प्रत्येक क्षण राधे-राधे का स्वर सुनते रहते हैंI
यहां आते ही भाव अपने आप प्रस्फ़ुटित होने लगते हैं I वह बिहारी जी के समक्ष खड़े होकर उन क निहारते समय आपको कुछ कभी कुछ याद नहीं रहेगा I Please Read Also-हमें जीवन का सच्चा सुख और आनंद की प्राप्ति कैसे होगी?
कि आप कौन हैं I यहां क्यों आए I उन से कुछ मांगना तो दूर की बात है I मंत्र मुग्ध चित्रलिखित सी अवस्था हो जाती हैं II
मैंने आज तक वृन्दावन धाम में जाकर कभी कुछ नहीं मांगा ध्यान तक नहीं आता I जबकि मांगने को प्रभु की चरण सेवा और दर्शन की अभिलाषा सबको होती है I
वह केवल भाव के भूखे हैं I आपका भाव पढ़ते हैं I भाव है तो दर्शन अवश्य मिलेगा I वरना कोई न कोई बाधा आ ही जाती है I
हम उनके दर्शन न कर पाने का ठीकरा भी उन्हीं पर फोड़ते हैं I कि हमें बुलाते नहीं यह बिल्कुल असत्य हैI और गलत सोच है I
वह सभी की राह देखते हैं I शर्त बस इतनी सी कि हमारे पांव प्रेममय भक्ति के साथ उस राह पर कब पडते हैं I
अश्रुपूरित प्रेममयी प्रार्थना उनको पिघला देती है I उनकी आज्ञा के बिना कोई भी ब्रजभूमि पर पांव नहीं रख सकता I
हम सब राधा रानी से प्रार्थना करें I कि हमें बारंबार ब्रज दर्शन हों II
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आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी