भक्त सदना कसाई के उद्धार की कथा-भक्ति की शक्ति

भक्त सदना कसाई के उद्धार की कथा-भक्ति की शक्ति

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भक्त सदना कसाई के उद्धार की कथा-भक्ति की शक्ति :

भारत भूमि भक्तों की भूमि है जहां पर समय समय पर कई भक्तों ने अवतरण लिया है। उन्ही में से एक है सदना कसाई ! जिन पर जगन्नाथ जी की बहुत कृपा है। सदना कसाई जाती के थे और मांस बेचकर अपने और अपने परिवार का पालन किया करते थे। लेकिन वो भगवत-भक्त भी थे और हर पल भगवान के गुणों का गान किया करते थे। यह भी पढें : अयोध्या में बन रहा है श्री राम मंदिर कब तक होगा निर्माण

ये संस्कार उनको पूर्व जन्म के कारण मिले थे क्योंकि वो पिछले जन्म में एक ब्राह्मण थे। और भगवान की भक्ति में ही लगे रहते थे लेकिन एक अपराध के कारण उनको एक कसाई के घर पर जन्म लेना पड़ा था। उनके पूर्व जन्म के पुण्य के कारण एक बार नदी के किनारे उनको शालिग्राम जी मिले लेकिन उसने उनको एक पत्थर समझकर अपने मांस तोलने वाले तुला में रख लिया।

अब वो रोज उस शालिग्राम से ही मांस तोलते थे और प्रभु का भजन भी किया करते थे। यद्यपि उनको किसी जीव की हिंसा पसन्द नही थी पर आजीविका के लिए उनको ये करना पड़ता था। एक बार एक ब्राह्मण ने उनको शालिग्राम से मांस को तोलते देख लिया और उसको कहा कि तू जिसका भजन गाता है उन्ही से मांस को तोल रहा है। यह भी पढें : आप जीवन को उत्तम करने के कुछ उपाय कर सकते है।

अरे जिसकी पूजा करनी चाहिए तू उनको इस अशुद्ध स्थान पर रखता है। इसके बाद वो ब्राह्मण उस शालिग्राम को अपने साथ अपने घर ले जाते है। वहां पर वो उनका अभिषेक स्नान आदि करा कर उनको फूलो से सजाते है। लेकिन ये अब करते वक्त उनके मन मे अभिमान होता है कि जो सबको निर्मल और शुद्ध करते है मैं उन भगवान को शुद्ध कर रहा हूँ।

इस कारण भगवान उनके सपने में आकर कहते है कि मुझे तुम्हारी ये आडम्बर भरी भक्ति नही चाहिए मुझे वापिस सदना के पास छोड़ आ। अगले दिन वो ब्राह्मण शालिग्राम जी को सदना के पास छोड़ आते है और कहते है कि इनको तो तुम्हारा साथ पसन्द है। इसलिए ये वापिस तेरे पास आये है। यह भी पढें : एक बार श्री राधा नाम लेने की महिमा

ये सुनकर सदना ने अपने आप को बहुत कोसा की जिन भगवान की मुझे पूजा करनी चाहिए वो भगवान से मैं मांस तोलता रहा।
फिर भी भगवान ने मेरा साथ नही छोड़ा और इसके बाद सदना कसाई ने मांस बेचना छोड़ दिया और जगन्नाथपुरी की और प्रस्थान किया। जब रात हुई तब वो एक कुए के पास बैठे थे तब एक स्त्री ने उनको देखा और उन पर मोहित हो गयी। यह भी पढें : कर्मों का फल तो सभी को भोगना ही पड़ता हैं।

उन्होंने कहा कि आप कहाँ जा रहे है। सदना ने कहा कि मैं जगन्नाथपुरी जा रहा हूँ। रात हो गयी इसलिए यहां विश्राम कर रहा हूँ। इस पर उस स्त्री ने कहा कि आप मेरे घर पधारिये और रात को वही पर विश्राम कीजिये और सुबह चले जाना। सदना उनके साथ उनके घर चले गए। जब आधी रात हुई तब उस स्त्री ने अपने पति को सोता देखकर सदन जी के पास गई और उसके अपने मन की बात बताई की वो उससे प्रेम करने लगी है।

तब सदना ने कहा कि ये सब आपको शोभा नही देता। उस स्त्री ने सोचा कि शायद मेरे पति के कारण ये सकुचा रहे हैं तो उसने अपने पति का गला काट दिया। और बाहर आकर बोली कि तुम मेरे पति की वजह से सकुचा रहे थे न मैंने अपने पति को मार दिया है अब हमारे बीच मे कोई नही। यह भी पढें : तुम दिखते नहीं हो फिर भी हरि एहसास तुम्हारा होता है

ये सुनकर सदन जी ने कहा कि ये तुमने क्या किया। मैं तुमसे प्रेम नही करता। ये सुनकर उस स्त्री ने शोर मचाना शुरू कर दिया। की इसने घर मे चोरी करने के उद्देश्य से मेरे पति को मार दिया। गांव वाले वहां आये और सदना कसाई को बहुत मारा और उसके दोनों हाथ काट दिए। इतना सब होने पर भी उसने सोचा कि शायद ये मेरे पिछले जन्म का कोई पाप का फल होगा।

वो फिर जगन्नाथ जी के धाम के निकट पहुंच गए। जगन्नाथ जी अपने मन्दिर के पुजारी के सपने में आकर बोले कि मेरा एक भक्त आया है उसके दोनों हाथ कटे हुए है। तुम उनको यहां लेकर आओ इसके बाद मंदिर के पुजारी सदना को पालकी में लेकर गए। मन्दिर में पहुंच कर जब जगन्नाथ जी का नाम सदना ने लिया तो उनके दोनों हाथ वापिस आ गए। यह भी पढें : ठाकुर श्री बाँके बिहारी जी विग्रह के रूप में कैसे प्रकट हुए।

भगवान ने उनको दर्शन देकर कहा ! कि अब तुम्हारे पिछले जन्म के पाप नष्ट हो गए। तुम पिछले जन्म में एक ब्राह्मण थे तुम नित्य मेरी पूजा औरभजन किया करते थे।

श्रीराम और माता सीता द्वारा कराया श्राद्ध-गरूड़ पुराण

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आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी