Daily Spiritual Quotes Thoughts in Hindi
हमारा समस्त भय केवल संसार आसक्ति के कारण है। जब हम हरि की शरण ग्रहण कर लेगें ! तब समस्त भय का समूल नाश हो जाएगा व महाआनंद की प्राप्ति हो जाएगी।
मानव शरीर भोगों के लिये नहीं मिला है। भोगों के लिए तो अन्यान्य समस्त योनियाँ है ही। यह तो मिला है केवल परमशांतिमय परमानंदमय नित्य शाश्वत अखंड चिदानंदमय भागवत-जीवन की प्राप्ति के लिये।
घरवाले या कोई भी पाप की बात कहे तो उसकी बात न माने, क्योंकि पाप करने की सम्मति देने वाला भी पाप का भागी होता है। पाप की बात बाप की भी न माने।
जैसे रात को हम चाहें कितने भी दीपक जगा दें, लेकिन अंधकार भुवन भास्कर के उदय होने पर ही दूर होगा, ठीक इसी तरह हम संसारिक भोगों में चाहे कितना ही सुख ढुढ़ ले, लेकिन सच्चा सुख परम सच्चिदानंद के शरणागति पर ही होगा।
जब तक मनुष्य संसार से कुछ लेने की आशा रखता है, तब तक वह कभी सुखी नहीं हो सकता I क्योंकि संसार अनित्य और क्षणभंगुर है। उससे जो कुछ मिलता है उसका वियोग अवश्यम्भावी है।
प्रभु तो दोनों बांहें फैलाये मुस्कुराते हुए खड़े है। मिलन में जो भी देरी है, जो भी कमी है वो हमारी तरफ से ही है।
इस लोक से लेकर ब्रह्मलोक तक के जितने भी भोग है उनमें सुख है नही हमने मान रखा है, सब केवल भ्रम है। हरि से प्रेम करो, सच्चा सुख केवल प्रभु के ही श्री चरणों में है।
मुख्य बात है अपनापन अगर हमारा प्रभु से अपनापन नही हुआ तो व्रत, यज्ञ, अनुष्ठान, तप सभी तरह की साधना व्यर्थ ही है। हमें हरि से प्रेम करना है।
जो हृदय, वाणी तथा शरीर से आपको नमस्कार करता रहता है, वह आपके परमपद का ठीक वैसे ही अधिकारी हो जाता है, जैसे पिता की सम्पत्ति का पुत्र I
जितनी भी साधनाएं हैं सब साधनाओं का उद्देश्य है शरीर, शरीर के संबंधी भोग, सबका विस्मरण हो जाए। एकमात्र अपने आराध्य देव का चिंतन रहे। सभी साधनाओं का यही परम लक्ष्य होना चाहिए।
हम सोचते हैं कि हम संसारिक भोगों को भोग रहे हैं, असल में हम संसारिक भोगों को नही भोग रहे, भोग हमें भोग रहे हैं। पलपल हमारी आयु क्षीण होती जा रही है।
सांवरे को दिल में बसा कर तो देखो हिंदी लिरिक्स
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आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी