भक्त का प्रेम-भाव देखकर राधा रानी से रहा नहीं गया

भक्त का प्रेम-भाव देखकर राधा रानी से रहा नहीं गया

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भक्त का प्रेम-भाव देखकर राधा रानी से रहा नहीं गया

एक भक्त का राधारानी के प्रति प्रेम-भाव :

एक संत बरसाना में रहते थे। वे हर रोज सुबह उठकर यमुना जी में स्नान करके राधाजी के दर्शन करने जाया करते थे। यह उनका हर रोज का नियम था। जब तक राधारानी के दर्शन नहीं कर लेते थे। तब तक वे जल भी ग्रहण नहीं करते थे। दर्शन करते करते करीब उनकी ऊम्र अस्सी वर्ष की हो गई थी।

आज की सुबह भी रोज की तरह उठे और यमुना में स्नान किया और राधारानी के दर्शन को गए। मन्दिर के पट खुले और राधारानी के दर्शन करने लगे। दर्शन करते करते समय संत के मन मे भाव आया ! मुझे राधारानी के दर्शन करते-करते हुए आज अस्सी वर्ष हो गये, लेकिन मैंने आज तक राधारानी को कोई भी वस्त्र नहीं चढ़ाया।

लोग राधारानी के लिये कोई नारियल लाता है, कोई चुनरिया लाता है, कोई चूड़ी लाता है, कोई बिन्दी लाता है, कोई साड़ी लाता है, तो कोई लहंगा चुनरिया लाता है। लेकिन मैंने तो आज तक कुछ भी नहीं चढ़ाया है। यह विचार संत जी के मन मे आया कि जब सभी मेरी राधारानी लिए कुछ ना कुछ लाते है। तो मैं भी अपनी राधारानी के लिए कुछ ना कुछ लेकर जरूर आऊँगा। लेकिन क्या लाऊं?

जिससे मेरी राधारानी खुश हो जाये ? संन्त जी यह सोच कर अपनी कुटिया मे आ गए। सारी रात सोचते सोचते सुबह हो गई ! सुबह उठे और उठकर स्नान किया और आज अपनी कुटिया मे ही राधारानी के दर्शन पूजन किया। दर्शन पूजन के बाद बाज़ार मे जाकर सबसे सुंदर वाला लहंगा चुनरिया का कपड़ा लाये और अपनी कुटिया मे आकर के अपने ही हाथों से लहंगा-चुनरिया को सिला और सुंदर से सुंदर उस लहंगा-चुनरिया मे गोटा लगाया।

जब पूरी तरह से लहंगा-चुनरिया को तैयार कर लिया तो मन में सोचा कि इस लहंगा-चुनरिया को अपनी राधारानी को पहनाऊगां तो मेरी राधारानी बहुत ही सुंदर लगेंगी। यह सोच करके आज संत जी उस लहंगा-चुनरिया को लेकर राधा रानी के मंदिर को चले। मंदिर की सीढ़ियां चढ़ने लगे और अपने मन-मन में सोच रहे हैं, आज मेरे हाथों के बनाए हुए लहंगा-चुनरिया राधारानी को पहनाऊगां, तो मेरी लाड़ली बहुत सुंदर लगेंगी।

यह सोच कर जा रहे हैं। इतने मे एक बरसाना की लड़की (लाली) आई और बाबा से कहा ! बाबा आज बहुत ही खुश हो, क्या बात है ? बाबा बताओ ना ! तो बाबा ने कहा ! लाली आज मे बहुत खुश हूँ। आज मैंने अपने हाथों से राधारानी के लिए लहंगा-चुनरिया बनाया है। इस लहँगा-चुनरिया को राधारानी जी को पहनाऊंगा और मेरी राधा रानी बहुत सुंदर दिखेंगी।

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उस लड़की ने कहा ! बाबा मुझे भी दिखाओ ना आपने लहँगा-चुनरिया कैसी बनाई है। लहँगा-चुनरिया को देखकर वो लड़की बोली ! अरे बाबा राधा रानी के पास तो बहुत सारी पोशाक है। तो ये मुझे दे दो ना। तो महात्मा बोले ! बेटी तुमको मैं दूसरी बाजार से दिलवा दूंगा। ये तो मै अपने हाथ से बनाकर राधारानी के लिये लेकर जा रहा हूँ।

तुमको और कोई दुसरा दिलवा दूंगा। लेकिन उस छोटी सी बालिका ने उस महात्मा का दुपट्टा पकड़ लिया। बाबा ये मुझे दे दो, पर संत भी जिद करने लगे कि दूसरी दिलवाऊंगा ये नहीं दूंगा। लेकिन वो बच्ची भी इतनी तेज थी कि संत के हाथ से छुड़ा लहँगा-चुनरिया को छीन कर भाग गई। अब तो बाबा को बहुत ही दुख हुआ कि मैंने आज तक राधारानी को कुछ नहीं चढ़ाया।

लेकिन जब लेकर आया तो लाली लेकर भाग गई। मेरा तो जीवन ही खराब हैं। अब क्या करूँगा? यह सोच कर संन्त सीढ़ियों में बैठ कर रोने लगे। इतने में कुछ संत वहाँ आये और पूछा ! क्या बात है बाबा ? आप क्यों रो रहे हैं। तो बाबा ने उन संतों को पूरी बात बतायी, संतों ने बाबा को समझाया और कहा कि ! आप दुखी मत हो, कल दूसरी लहँगा-चुनरिया बना के राधारानी को पहना देना।


चलो राधा रानी के दर्शन कर लेते है। इस प्रकार संतो ने बाबा को समझाया और राधारानी के दर्शन को लेकर चले गये। रोना तो बन्द हुआ लेकिन मन ख़राब था। क्योंकि कामना पूरी नहीं हुई ना। तो अब संत अनमने मन से राधारानी के दर्शन करने जा रहे थे। और मन में ये ही सोच रहे है मुझे लगता है कि किशोरीजी की इच्छा नहीं थी। Please Read-किशोरी श्री लाड़िली जु (श्री राधारानी जी) की वंशावली

शायद राधारानी मेरे हाथो से बनी पोशाक पहनना ही नहीं चाहती थी, ऐसा सोचकर बड़े दुःखी होकर जा रहे है। मंदिर में आकर राधारानी के मंदिर के पट खुलने का इन्तजार करने लगे। थोड़े ही देर बाद मन्दिर के पट खुले तो संन्तो ने कहा बाबा देखो तो आज हमारी राधा रानी बहुत ही सुंदर लग रही है।

संतों की बात सुनकर के जैसे ही बाबा ने अपना सिर उठा कर के देखा तो, जो लहँगा-चुनरिया बाबा ने अपने हाथों से बनाकर लाये थे, वही आज राधा रानी ने पहना था। बाबा बहुत ही खुश हो गये और राधा रानी से कहा हे ! राधारानी आपको इतना भी सब्र नहीं रहा आप मेरे हाथों से मंदिर की सीढ़ियों से ही लेकर भाग गईं ! Please Read-जब भगवान रात में भक्तों के लिए राशन खरीदने आए

ऐसा क्यों? सर्वेश्वरी श्री राधारानी ने कहा- बाबा आपके भाव को देखकर मुझ से रहा नहीं गया और ये केवल पोशाक नही है, इसमें आपका प्रेम है। तो मैं खुद ही आकर के आपसे लहँगा-चुनरिया छीन कर भाग गई थी। इतना सुनकर के बाबा भाव विभोर हो गये और बाबा ने उसी समय किशोरी जी का भाव विभोर ह्रदय से धन्यवाद किया।

!! बोलिए जय जय श्री राधे !!



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