दिल्ली में 9 ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं, जिनके नाम इस प्रकार है l
- गुरुद्वारा बंगला साहिब
- गुरुद्वारा शीशगंज
- गुरुद्वारा नानक प्याऊ
- गुरुद्वारा रकाबगंज
- गुरुद्वारा मजनू का टीला
- गुरुद्वारा बाला साहिब
- गुरुद्वारा मोती बाग
- गुरुद्वारा माता सुंदरी जी
- गुरुद्वारा बंदा बहादुर
गुरुद्वारा शीशगंज का इतिहास (history of shish Ganj Gurudwara)
दिल्ली में 9 ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं l जिसमें से एक गुरुद्वारा शीशगंज भी है, यह गुरुद्वारा पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से आधा किलोमीटर दूरी पर चांदनी चौक
” जालम कहे में हिन्द नू, जंजू नी पौण देणा, l
सतगुरु ने आख्या, में जंजू नी लौण देणा ” ll
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औरंगजेब द्वारा जबरन धर्म परिवर्तित करना (Forced conversion by Aurangzeb)
औरंगजेब कश्मीरी पंडितो को जबरन धर्म परिवर्तित करा रहा था l कश्मीरी पंडितो ने गुरु तेग बहादुर जी को संदेशा भिजवाया l और कहा गुरु जी हमारे धर्म की रक्षा करें l तब गुरु जी के पुत्र ” गोविन्द सिंह जी ” जो मात्र दस वर्ष के थे, उन्होंने कहा पिता जी इस समय परिस्थिति किसी महान पुरुष की शहादत मांग रही है, आपके सिवा कौंन है, जो बलिदान दे सके l पुत्र की बात सुन कर गुरु जी अत्यंत प्रसन्न हुए l और अपने पांच शिष्यों को को लेकर घोड़ो पर सवार होकर दिल्ली के लिए रबाना हुए l
इधर औरंगजेब ने आदेश दिया की गुरु तेग बहादुर जी को बंदी बनाकर उनके सामने पेश किया जाए जाये l उससे पहले ही गुरु तेग बहादुर जी आगरा में गिरफ्तार हो चुके थे l जब औरंगजेब को अपने गुप्तचरों से पता चला की गुरु तेग बहादुर जी गिरफ्तार हो गये है l तो औरंगजेब ने अपने बारह सौ घुड़सवारों को बड़े आदर के साथ “गुरु तेग बहादुर जी” को लाने के लिए कहा l तब उसकी सेना गुरूजी और उनके “पांचो शिष्यों ” को लेकर दिल्ली पहुंचे l
गुरु तेग बहादुर जी का धर्म की रक्षा हेतु बलिदान देना (Sacrifice of Guru Tegh Bahadur ji to protect Dharma)
गुरु जी को औरंगजेब ने तरह -तरह के प्रलोभन और यातनाएं दी, पर गुरु जी ने इस्लाम कबूल नहीं किया l इसी के चलते औरंगजेब ने गुरु के साथियों में से ” भाई मतिदास जी ” को आरे से चिराया गया, ” भाई सतीदास जी ” रुई में लपेट कर ,” भाई दयाला जी ” को देग में उबाला गया l यह स्थान शीश गंज गुरुद्वारा के समीप जो कोतवाली हैं उसमें मौत के घाट उतरा गया l 11 नबम्बर 1675 में गुरु तेग बहादुर जी का सिर धड़ से अलग कर शहीद कर दिया गया l
औरंगजेब का सख्त आदेश था, की कोई भी गुरु जी के पार्थिव शरीर को यहा से नहीं ले जायेगा l पर आधी रात को जब बारिश हो रही थी गुरु जी सिख बाबा लखी शाह बंजारा जी ने पार्थिव शरीर चुरा लिया l गुरु जी के अंतिम संस्कार के लिए उन्होंने अपने घर को जला दिया था, जहा अब रकाब गंज गुरुद्वारा है l
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गुरु गोविन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना करना (Guru Gobind Singh Ji founded the Khalsa Panth)
पिता जी के बलिदान के बाद गुरु गोविन्द सिंह जी ने ‘खालसा ” पंथ की स्थापना 1699 को आंनदपुर साहिब में की l और इसी दिन उन्होंने पंच प्यारों को अमृत पान करवाकर खालसा पंथ बनाया और फिर उन पांच प्यारों के हाथों से खुद भी अमृत पान किया l और उन्होंने गुरु तेगबहादुर जी के शिष्य जिनका नाम जैता था जो मेहत्तर जाति के थे उनका नाम भाई जीवन सिंह रख दिया और सिक्खों के नाम के साथ ” सिंह ” और स्त्रियो के नाम के साथ “कौर ” जोड़ दिया l
भाई जीवन सिंह चमकौर के शहीदो में से एक थे, गुरु गोविन्द सिंह जी सिक्खों के 10वें गुरु थे l गुरु तेग बहादुर जी शहादत के उपरान्त दिल्ली पर बाबा बघेल सिंह जी ने फ़तेह हासिल कर ली थी l धर्म की रक्षा के लिए सिक्खों के नौवें गुरु तेग बहादुर जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, वही पर बाबा बघेल सिंह ने 1783 में गुरुद्वारा शीश गंज बनबाया l
शीश गंज गुरुद्वारा की वर्तमान संरचना (Present Structure of Sheesh Ganj Gurudwara)
शीश गंज गुरुद्वारा को 1930 में आर्किटेक्चर द्वारा वनवाया गया था l यह वास्तुकला (शैली) से प्रभावित है l शीश गंज गुरुद्वारा में सोने के गुम्बदों का समूह भी देख सकते है l इसको बनबाने के लिए 4000 कार्यकर्त्तााओं ने निर्माण किया l इसमें 200 लॉकर और 240 के करीब श्रद्धालुओं को हेतु ठहरने के लिए कमरों का भी निर्माण किया गया l
गुरुद्वारा के मध्य एक कांस्य की छत है जहा गुरु ग्रन्थ साहिब विराजमान है l यहाँ एक बरगद का पेड़ है, जिसे आज भी सुरक्षित रखा गया है l जहां गुरु तेग बहादुर जी शहीद हुए थे, गुरूद्वारे के अंदर स्थान है, जहां गुरु जी को बंदी बना कर रखा गया था l जो शीश गंज गुरुद्वारा में आज भी सुरक्षित है l
धर्म की आन, बान,शान की रक्षा हेतु सिक्खों के नौवें गुरु तेग बहादुर जी ने अपनी शहादत दी l यहां आज भी देश विदेश से गुरुद्वारा शीश गंज में सिक्ख गुरुओं की कुर्बानियो और शहादतों को यादकर श्रद्धालु यहां आते है l अनेक धर्मों के श्रद्धालुओं के द्वारा यह पंक्ति प्रतिदिन (” गुरु तेग बहादुर सिमरिये, घर नो निधिआव धिआवै “) अरदास में बोली जाती है l
शहरों से शीशगंज गुरुद्वारे की की दूरी (Distance of Shish ganj Gurdwara from cities)
मुंबई से शीशगंज गुरुद्वार (दिल्ली) -1427 किमी।
मुंबई से शीशगंज गुरुद्वारा हवाई मार्ग द्वारा (दिल्ली) -1140 किमी
आगरा से शीशगंज गुरुद्वारा (दिल्ली) -231 किमी
लखनऊ से शीशगंज गुरुद्वारा (दिल्ली) -550 किमी
shish Ganj Gurudwara delhi ka itihas
नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा का इतिहास और दर्शन
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आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी