हमें जीवन का सच्चा सुख और आनंद की प्राप्ति कैसे होगी?

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हमें जीवन का सच्चा सुख और आनंद की प्राप्ति कैसे होगी??

पुराने समय में एक संत गांव के लोगों को प्रवचन देते थे। भिक्षा मांग कर अपना जीवन यापन करते थे। एक दिन गांव की एक महिला ने संत के लिए खाना बनाया। जब संत उस महिला के घर खाना खाने गए। तो उस महिला ने पूछा ! कि महाराज हमें जीवन में सच्चा सुख और आनंद कैसे मिल सकता है?। इस पर संत ने कहा कि इसका जवाब हम आपको कल देंगे।

अगले दिन उस महिला ने संत के लिए खीर बनाई। क्योंकि वह महिला उन संत से सुख और आनंद के बारे में प्रवचन सुनना चाहती थी। यह भी पढ़ें – रिश्तो को भी परखें,जो सम्बन्धी प्रेम का दिखावा करते हैं

उसके बाद वह संत उस महिला के घर आए। और उन्होंने भिक्षा के लिए उस महिला को आवाज दी। वह महिला दौड़ती हुई संत के लिए खीर लेकर बाहर आई। संत ने खीर लेने के लिए अपना कमंडल आगे किया। महिला कमंडल में खीर डालने ही वाली थी। कि उसकी नजर कमंडल के अंदर पड़ी।

तो उसने संत से कहा कि महाराज आपका कमंडल तो गन्दा है। और इसमें कचरा पड़ा है। इस पर संत ने कहा कमंडल गन्दा है। लेकिन आप इसमें ही खीर डाल दो। महिला ने का नहीं महाराज ! ऐसे तो खीर खराब हो जाएगी।

आप ऐसा कीजिए कि यह कमंडल मुझे दे दीजिए, मैं इसे धोकर साफ कर देती हूं। इस पर संत ने पूछा ! कि मतलब जब तक कमंडल साफ नहीं होगा तो आप इसमें खीर नहीं देंगी। उसके बाद महिला ने कहा ! जी महाराज, मैं इसे साफ करने के बाद इसमें खीर दे दूंगी। यह भी पढ़ें – मानव अपने सपन संजोए विधिना अपनी चाल चले

तब संत ने कहा कि ठीक इसी तरह जब तक हमारे मन में लोभ, क्रोध, मोह और काम जैसे बुरे विचारों की गंदगी है। तो हम उसमें अच्छे उपदेश कैसे डाल सकते हैं? अगर ऐसे मन में उपदेश डालेंगे तो अपना असर नहीं दिखा पाएंगे।

इसलिए अच्छे उपदेश सुनने के लिए मन को शांत और पवित्र करना चाहिए। तभी हम ज्ञान की बातें सीख सकते हैं। शांत और पवित्र मन वाले ही सच्चे सुख और आनंद की प्राप्ति कर पाते हैं। जब हम अपने मन को शांत और पवित्र बना लेंगे, तब हमें जीवन का सच्चा सुख और आनंद की प्राप्ति होगी।



बुराई करने वालों को जवाब देने में समय बर्बाद न करें

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आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी