हे रोम रोम में बसने वाले राम भजन लिरिक्स

हे रोम रोम में बसने वाले राम भजन लिरिक्स

You are currently viewing हे रोम रोम में बसने वाले राम भजन लिरिक्स

हे रोम रोम में बसने वाले राम भजन लिरिक्स

हे रोम रोम में बसने वाले राम,
हे रोम रोम में बसने वाले राम

जगत के स्वामी हे अंतर्यामी
मैं तुझसे क्या मांगू
मैं तुझसे क्या मांगू
हे रोम रोम में बसने वाले राम


आस का बंधन तोड़ चुकी हूं
तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूं
आस का बंधन तोड़ चुकी हूं
तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूं
नाथ मेरे मैं क्यों कुछ सोचूँ
नाथ मेरे मैं क्यों कुछ सोचूँ
तू जाने तेरा काम,
जगत के स्वामी हे अंतर्यामी
मैं तुझसे क्या मांगू
मैं तुझसे क्या मांगू
हे रोम रोम में बसने वाले राम।


तेरे चरणों की धूल जो पाये
वो कंकर हीरा हो जाये,
तेरे चरणों की धूल जो पाये
वो कंकर हीरा हो जाये,
भाग्य मेरे जो मैंने पाया
इन चरणों में धाम
जगत के स्वामी हे अंतर्यामी
मैं तुझसे क्या मांगू
मैं तुझसे क्या मांगू
हे रोम रोम में बसने वाले राम।


भेद तेरा कोई क्या पहचाने,
जो तुझसा हो वो तुझे जाने,
भेद तेरा कोई क्या पहचाने,
जो तुझसा हो वो तुझे जाने।
तेरे किये को हम क्या देवें,
तेरे किये को हम क्या देवें,
भले बुरे का नाम,
जगत के स्वामी हे अंतर्यामी
मैं तुझसे क्या मांगू
मैं तुझसे क्या मांगू
हे रोम रोम में बसने वाले राम।


जगत के स्वामी हे अंतर्यामी
मैं तुझसे क्या मांगू
मैं तुझसे क्या मांगू
हे रोम रोम में बसने वाले राम।

https://youtu.be/Od7XdeZ9KBI

दया कर दान भक्ति का प्रार्थना हिंदी लिरिक्सअयोध्या में बन रहा है श्री राम मंदिर कब तक होगा निर्माण 
नमामिशमीशान निर्वाणरूपं रूपम शिव स्तुति मन्त्रॐ नमः शिवाय शिव धुन लिरिक्स

पिता का प्यार और पुत्र के प्यार में क्या अंतर होता है

अशोक वाटिका में जब रावण माता सीता जी के पास आता था तो वह तिनके को क्यों देखती थीं

सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग का संक्षिप्त ज्ञान

Bhakti Gyaan

आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी