करवा चौथ 2022 तिथि व मुहूर्त, व्रत कथा व विधि

करवा चौथ 2022 तिथि व मुहूर्त, व्रत कथा व विधि

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करवा चौथ 2022 तिथि व मुहूर्त, व्रत कथा व विधि

करवा चौथ में सरगी का महत्व –

करवा चौथ का आरंभ सरगी से ही होता है, यह करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पूर्व किया जाने वाला भोजन है l जो स्त्रियां इस व्रत को रखती हैं उनकी सास उनके लिए सरगी बनाती है l

करवा चौथ पूजा मुहूर्त - 05:46 से 06:50 PM
चतुर्थी तिथि आरंभ - 01:59 (13 अक्टूबर 2022)
चतुर्थी तिथि समाप्ति - 03:08 (14 अक्टूबर 2022)

संक्षिप्त परिचय –

संकष्टी चतुर्थी और करवा चौथ भगवान गणेश जी के लिए किया जाने वाले व्रत दोनों एक ही दिन होते हैं l सुहागिन स्त्रियां पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत पूरी निष्ठा और रस्मों के साथ करती हैं l

करवा चौथ का व्रत करने से छान्दोग्य उपनिषद के अनुसार इस व्रत को करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं l इस दिन चंद्रमा, गणेश तथा शिव पार्वती जी की पूजा करने से जीवन में किसी भी तरह का कष्ट नहीं होता है l

जो बड़े धूमधाम से और बड़ी श्रद्धा के साथ पति की लंबी उम्र के लिए पत्नियों द्वारा रखा जाने वाला एकमात्र व्रत है l लगभग भारत के सभी प्रांतों में करवा चौथ का व्रत बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाने वाला हिंदुओं का एक त्यौहार है l सुहागन स्त्रियां शिव परिवार और चंद्रमा की पूजा करती हैं l

चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं। यह व्रत बिना अन और जल ग्रहण किए सूर्य उदय से लेकर रात में चंद्र दर्शन तक किया जाता है l

करवा चौथ का व्रत बड़ा ही कठोर व्रत है, और इसके करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं l करवा चौथ को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहा जाता है l करवा काली मिट्टी में शक्कर की चासनी मिलाकर उस मिट्टी से तैयार करवे से ही पूजा की जाती है l इस व्रत के अंतर्गत विवाहित स्त्रियां अपने पति का छलनी मैं देखती है l

पूजा के दौरान करवा का बहुत ही महत्व होता है जिससे चंद्रमा को जल चढ़ाया जाता है, जो अर्घ्य देना कहलाता है, पूजा करने के बाद करवा को किसी ब्राह्मण को या किसी महिला को दे दिया जाता है l

चाहे महिलाएं आधुनिक हो या ग्रामीण l यह व्रत पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है lकरवा भारत के दक्षिण और उत्तरी भाग में ज्यादा प्रसिद्ध है l और करवा चौथ के 4 दिन के बाद अहोई अष्टमी व्रत पुत्रों की दीर्घायु और समृद्धि के लिए किया जाता है l

करवा चौथ का व्रत कार्तिक हिंदू माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है l अमांत पञ्चाङ्ग जिसका अनुसरण दक्षिण भारत गुजरात महाराष्ट्र में किया जाता है, करवा चौथ वाले दिन चौथ माता की पूजा की जाती है l उत्तर भारत में राजस्थान में चौथ माता की पूजा के लिए प्रतिमा गाय के गोबर से बनाई जाती है l

शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण-पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन सर्वोत्तम माना गया है l इस दिन यह व्रत करने से स्वेछित फल की प्राप्ति होती है इस व्रत में स्त्रियां निराहार रहकर चंद्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं l

करवा चौथ में भी संकष्टी गणेश चतुर्थी की तरह दिनभर उपवास रखकर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत भी भोजन करने का विधान है l

इस व्रत की विशेषताएं :

इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों (सुहागिन) को ही यह व्रत करने का अधिकार प्राप्त है, यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करने का विधान है l स्त्रियां चाहे किसी जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो उन्हें यह व्रत करने का अधिकार होता है l

यह व्रत 12 वर्ष या 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है l अवधि पूरी होने के उपरांत इस व्रत का उपसंहार (उद्यापन) किया जाता है, इस व्रत के समान अन्य कोई भी व्रत सौभाग्य दायक नहीं है, जो स्त्रियां इस व्रत को आजीवन रखना चाहे वह रख सकती हैं l भारत में चौथ माता मंदिर की स्थापना महाराजा भीम सिंह चौहान ने की थी l भारतवर्ष में अनेकों चौथ माता के मंदिर स्थापित है l

लेकिन सबसे प्राचीन एवं ख्याति प्राप्त मंदिर राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा गांव में स्थित है l चौथ माता के नाम पर इस गांव का नाम बरवाड़ा से (चौथ का बरवाड़ा) पड़ गया l

करवा चौथ वाले दिन प्रातः काल स्नान करने के बाद व्रत आरंभ करना चाहिए और यह मंत्र बोलें –

“मम् सुख सौभाग्यपुत्र पपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रत मह करिष्ये” l

करवा चौथ की सम्पूर्ण कथा –

एक ब्राह्मण की वीरावती नाम की इकलौती पुत्री थी, और उस ब्राह्मण के 7 पुत्र थे सातों भाइयों कि अकेली बहन होने के कारण वीरावती सभी भाइयों की लाडली थी, और जान से भी बढ़कर वे सभी उससे प्रेम करते थे l

वीरावती का विवाह एक ब्राह्मण परिवार में हो गया l विवाह के पश्चात वीरावती मायके रहने के लिए आयी l और उसने अपने अपनी भाभियों के साथ करवा चौथ का व्रत किया l शाम होते होते वीरावती को भूख लगने लगी l

सभी भाई शाम को एक साथ खाना खाने के लिए बैठे और अपनी बहन को भी आने के लिए कहा l बहन ने कहा आज मैंने करवा चौथ का निर्जला व्रत किया है l और मैं सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर खाना खा सकती हूं l लेकिन उसे बहुत भूख लगी थी l

और चंद्रमा अभी तक नहीं निकला था वीरावती की यह दशा भाइयों से देखी नहीं गई उन्होंने एक पेड़ पर दीपक जलाकर छलनी की ओर ओट मैं रख दिया, जो दूर से देखकर ऐसा लग रहा था मानो जैसे चांद निकल आया हो l

एक भाई ने वीरावती से कहा कि चांद निकल आया है, अब उसे अर्घ्य देकर भोजन कर सकती हो l वीरावती खुश हो गई और सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को अर्घ्य देने के बाद खाना खाने बैठ गई I उसने खाना खाने के लिए पहला निवाला मुंह में डाला उसे छींक आ गई, दूसरा डाला उसमें बाल आ गया, इसके पश्चात जैसे ही उसने तीसरा टुकड़ा मुंह में लेने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिला l

वीरावती की भाभी ने उसे सारी सच्चाई से अवगत कराया उसके साथ ऐसा क्यों हुआ करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से खोलने पर देवता उससे नाराज हो गए हैं तब वीरावती पति की रक्षा के लिए इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी की पूजा की l इंद्राणी जी ने वीरावती से पूरी श्रद्धा और विधि विधान से करवा चौथ का व्रत करने को कहा l

इस बार वीरावती ने पूरी श्रद्धा से करवा चौथ का व्रत रखा, उसकी भक्ति और श्रद्धा भाव देख भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंने वीरावती को सदा सुहागन का आशीर्वाद दिया देते हुए उसके पति को पुनर्जीवित कर दिया l

इसके बाद ही से स्त्रियों का करवा चौथ व्रत पर अटूट विश्वास हो गया तब से महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए इस व्रत को बड़ी लगन और श्रद्धा के साथ त्यौहार की तरह मनाती हैं l

समान पर्व – अहोई अष्टमी, तीज
अन्य नाम-
करक चतुर्थी
उद्देश्य –
सौभाग्य
तिथि –
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी

नैवेध – शुद्ध देसी घी में आटे को सेककर उसमें खांड मिलाकर लड्डू को पूजा में चढ़ाया जाता है l

पकवान- हलुआ, पक्के पकवान, 8 पूरियों की अठावरी बनाएं l

करवा चौथ की थाली-

करवा चौथ की रात्रि के समय चांद देखने से पहले थाली को पूर्ण रूप से सजा कर निम्न सामग्री को रखा जाता है :

  1. छलनी
  2. दीपक
  3. कलश ढकने के लिए वस्त्र
  4. धूप चंदन
  5. गुड़, चूरमा और मौली
  6. करवों की संख्या 13

करवा चौथ व्रत की पूजा विधि –

  • पूरे दिन निर्जला रहें l
  • इस दिन पीले और लाल रंग के परिधान या वस्त्र पहनें, काले और सफेद कपड़े कभी ना पहनें, लाल रंग के परिधान पहनना विशेष फलदाई होता है l
  • पीली मिट्टी से गौरी जी और उनकी गोद में गणेश जी को बनाकर बिठाए l
  • दीवार पर गेरू की सहायता से फलक बनाकर पिसे चावल के घोल से करवा बनाएं इसे वर कहते हैं चित्रित करने को करवा धरना कहा जाता है l
  • मिट्टी का आसन बनाकर गौरी को स्थापित करें चुनरी ओढ़ाए बिंदी और सुहाग की सामग्री से गौरी जी का सिंगार करें l
  • एक लोटा जल से भरकर रखें l
  • वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोटी दार करवा लें इसमें गेंहू और शक्कर का बूरा भर दे उसके ऊपर दक्षिणा रखें l
  • रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं l
  • गणेश जी की पूजा करें उन्हें पीले फूलों की माला और केले और लड्डू को अर्पण करें l
  • संपूर्ण शिव परिवार और श्री कृष्ण की स्थापना करें l
  • शाम के समय एक मिट्टी की बेदी पर सभी देवता एक स्थान पर स्थापित कर करवा भी रखें l
  • एक थाली में दीप, चंदन, रोली, सिंदूर और घी का दीपक जलाएं पूजन के समय करवा चौथ की कथा जरूर सुनें और सुनायें l
  • इस दिन बहू अपनी सास को थाली में फल रुपए मिठाई देकर उनसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लेती है l
  • करवा चौथ की रात निश्चित ही सौभाग्यवती सौभाग्य प्राप्ति का फल मिलता है l
  • केवल सुहागन सुहागिन स्त्रियां या जिनका रिश्ता तय हो चुका है वह स्त्रियां ही यह व्रत कर सकती हैं l
  • पत्नी के अस्वस्थ होने पर पति भी यह व्रत रख सकते हैं l
  • करवा चौथ पर पूर्ण श्रृंगार और अच्छा (सात्विक) भोजन ग्रहण करना चाहिए l
  • करवा चौथ पर महिलाएं पूरा दिन निर्जला व्रत करती हैं l शाम के समय चंद्रमा के दर्शन उपरांत अर्घ्य देकर पति के हाथों से अन्न और जल ग्रहण करने के पश्चात व्रत खोलती हैं l
  • सभी सुहागिन स्त्रियां सिंगार कर शाम को एकत्रित होती हैं l और फेरी की रस्म करती हैं रस्म में सब सुहागिन स्त्रियां घेरा बना कर बैठती हैं l वह सब अपनी अपनी पूजा की थाली एक दूसरे को देकर घेरे में घुमाते हैं l और रस्म में ही एक महिला करवा चौथ की कथा सुनाती है l

गणेश गौरी और चित्रित करवे से ही पति की दीर्घायु की कामना करें

नमः शिवाय शर्वाण्ये सौभाग्यं संतति शुभाम,
प्रयच्छ भक्ति युक्तानां नारीणां हरवल्ल्भे ll

  • करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल को 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा सुने और सुनाएं l
  • कथा सुनने के उपरांत करवा पर हाथ घुमा कर सासू जी का आशीर्वाद लें और उन्हें करवा दे दें l
  • 13 दाने और पानी का लोटा और करवा अलग रख लें l
  • चंद्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चंद्र को अर्घ्य दें l
  • पति से आशीर्वाद ले तथा उन्हें भोजन भी स्वयं कराएं l
  • पूजन के उपरान्त सभी महिलाओं को करवा चौथ की बधाई दे कर पर्व सम्पन करें l
  • सुबह सूर्योदय से पहले उठें, और सरगी के रूप में मिला भोजन और पानी ग्रहण करें और सूर्योदय से पूर्व ही स्नान कर भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प करें l

करवा चौथ पूजन के लिए मंत्र-

ओम नमः शिवाय: (शिव जी मंत्र)

ओम शिवाय नमः (पार्वती जी मंत्र)

ओम गणेशाय नमः (गणेश जी मंत्र)

ओम षणमुखाए नमः (कार्तिक जी मंत्र)

ॐ सोमाय नमः (चंद्र देव जी मंत्र)

आरती –

श्री गणेश जी की,
जय अंबे गौरी, श्यामा गौरी की,
ओम जय जगदीश हरे,

https://youtu.be/ran3dwkfoz0

तेरी कृपा का है ये असर सांवरे हिंदी लिरिक्स

Bhakti Gyaan

आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी