क्या आप जानते है मनुष्य के स्नान विधि व नियम

क्या आप जानते है मनुष्य के स्नान विधि व नियम

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क्या आप जानते है मनुष्य के स्नान विधि व नियम

क्या आप जानते है मनुष्य के स्नान विधि व नियम

  • स्नान किये बिना जो पुण्यकर्म किया जाता है I वह निष्फल होता है I उसे राक्षस ग्रहण करते हैं I दु:स्वप्न देखने, हजामत बनवाने (क्षोरकर्म) वमन (उल्टी) स्त्री संग करने और श्मशान भूमि में जाने पर वस्त्र सहित स्नान
    करना चाहिए I
  • तेल लगाने के बाद, शमशान से लौटने के बाद, स्त्री संग करने पर और क्षोरकर्म करने के बाद जब तक मनुष्य स्नान नहीं करता I तब तक वह चांडाल बना रहता है I
  • स्नान करना चाहिए। कुएं से निकाले हुए जल की अपेक्षा झरने का जल पवित्र होता है I उससे पवित्र सरोवर का उससे भी पवित्र नदी का जल बताया गया है I तीर्थ का जल उससे भी पवित्र होता है I और गंगा का जल तो सबसे पवित्र माना गया है I
  • भोजन के बाद, रोगी रहने पर, महानिशा (रात्रि के मध्य दो पहर) में बहुत पहने हुए और अज्ञात जलाशय में स्नान नहीं करना चाहिए I रात्रि के समय स्नान नहीं करना चाहिए I संध्या के समय भी स्नान नहीं करना चाहिए I परंतु सूर्य ग्रहण अथवा चंद्र ग्रहण के समय रात्रि में भी स्नान कर सकते हैं I
  • पुत्र जन्म, सूर्य की संक्रान्ति, स्वजन की मृत्यु, ग्रहण तथा जन्म नक्षत्र में चंद्रमा रहने पर रात्रि में भी स्नान किया जा सकता है I बिना शरीर की थकावट दूर किए और बिना मुंह धोए स्नान नहीं करना चाहिए I
  • सूर्य की धूप से संतृप्त व्यक्ति यदि तुरंत (बिना विश्राम किये) स्नान करता है I तो उसकी दृष्टि मंद पड़ जाती है और सिर में पीड़ा होती है I
  • उसकी शुद्धि पुनः स्नान करने से ही होती है I नग्न होकर कभी स्नान नहीं करना चाहिए I
  • पुरुष को नित्य सिर के ऊपर से स्नान करना चाहिए I सिर को छोड़कर स्नान नहीं करना चाहिए I सिर के ऊपर से स्नान करके ही देव कार्य और पित्र कार्य करने चाहिए I बिना स्नान किए कभी चंदन नहीं लगाना चाहिए I
  • जो दोनों पक्षों की एकादशी को आंवले से स्नान करता है I उसके बहुत से रोग एवं पाप नष्ट हो जाते हैं I और वह देवलोक में सम्मानित होता है I स्नान के बाद अपने अंगों में तेल की मालिश नहीं करनी चाहिए I
  • समूह में गीले वस्त्रों को छटकारना नहीं चाहिए I स्नान के बाद वस्तु को चौगुना करके निचोड़ना चाहिए तिगुना करके नहीं I घर में वस्त्र निचोड़ते समय उसके छोर को नीचे करके ने निचोड़ें I और जलाशय आदि में स्नान किया हो तो ऊपर की ओर छोर करके भूमि पर निचोड़ें I
  • निचोड़े हुए वस्त्र को कंधे पर ना रखें I स्नान के बाद शरीर को हाथ से नहीं पोछना चाहिए I
  • स्नान के बाद अपने गीले वालों को फटकारना या झाड़ना नहीं चाहिए I बालों से गिरा हुआ जल अशुद्ध होता है I यदि बाल झाड़ना आवश्यक लग रहा है I तो इसका ध्यान रखना चाहिए I कि बाल का जल किसी व्यक्ति या वस्तु पर न पड़े I

स्नान के समय पहने हुए या भीगे वस्त्रों से शरीर को नहीं पोछना चाहिए I ऐसा ऐसा करने से शरीर कुत्ते से चाटे हुए के समान अशुद्ध हो जाता है I जो पुनः स्नान से ही शुद्ध होता है I

II उपरोक्त सभी शास्त्रोक्त नियम है स्नान विधि एवं नियम II

कभी राम बनके कभी श्याम बनके हिंदी लिरिक्स

मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है

Bhakti Gyaan

आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी