नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा का इतिहास और दर्शन

नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा का इतिहास और दर्शन

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नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा का इतिहास और दर्शन :- नानकमत्ता को “सिद्धमत्ता” नाम से जाना जाता था. सिखों के प्रथम गुरू नानकदेव जी कैलाश की पैदल यात्रा के दौरान यहाँ रुके थे l नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा उत्तराखंड राज्य के “उधम सिंह नगर” जिले में स्थित है,

जिसे हम रुद्रपुर भी कहते है l नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा सिखों का एक ऐतिहासिक पवित्र गुरुद्वारा है l जहाँ हर साल हज़ारों, लाखो की संख्या में श्रद्धालु देश, विदेश से दर्शन के लिए आते हैं l

Sarobar Taal

उत्तराखण्ड में स्थित नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा 3 प्रमुख सिख तीर्थ स्थानों में से एक है l उत्तराखण्ड में स्थित हेमकुंड साहिब, गुरूद्वारा श्री रीठा साहिब और नानकमत्ता साहिब प्रमुख सिख तीर्थ स्थान हैं l

गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब के समीप ही नानक सागर सरोवर “डेम” स्थित है, जिसे नानक सागर के नाम से भी जाना जाता है, नानक सागर (बाउली साहिब) में नानाकमता साहिब के नाम से ही इस कस्बे का नाम “नानकमत्ता” पड़ा l

यहाँ सभी धर्म के लोग रहते है, जिनमे सिख धर्म के लोगों की अच्छी ख़ासी आबादी है l

Nanak Sagar Dam

नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा का इतिहास (History of Nanakmatta Sahib Gurdwara)

नानकमत्ता का पुराना नाम “सिद्धमत्ता” था l सिखों के प्रथम गुरू नानकदेव जी कैलाश पैदल यात्रा के दौरान यहाँ रुके थे l और बाद में सिखों के छठे गुरू हरगोविन्द साहिब के चरण भी यहाँ पड़े l

गुरू नानकदेव जी सन् 1508 में अपनी तीसरी कैलाश यात्रा जिसे “तीसरी उदासी” भी कहा जाता है,के समय रीठा साहिब से चलकर बाला और मरदाना जी के साथ यहाँ रुके थे l उन दिनो यहाँ जंगल हुआ करते थे l

यहाँ गुरू गोरक्षनाथ के शिष्यों का निवास हुआ करता था l गुरु शिष्य और गुरुकुल के चलन के कारण योगियों ने यहाँ गढ़ स्थापित कर लिया था l जिसका नाम “गोरखमत्ता” हुआ करता था l

कहा जाता है की यहाँ एक पीपल का सूखा वृक्ष था l जब नानक देव यहाँ रुके तो उन्होने इसी पीपल के पेड़ के नीचे अपना आसन “डेरा” जमा लिया l कहा जाता है कि गुरू जी के पवित्र चरण पड़ते ही यह पीपल का वृक्ष हरा-भरा हो गया l

यह देख कर रात के समय योगियों और तपस्वियों ने अपनी योग शक्ति के द्वारा आंधी तूफान और बरसात शुरू कर दी l तेज तूफान और आँधी की वजह से पीपल का वृक्ष हवा में ऊपर को उड़ने लगा l

यह देखकर गुरू नानकदेव जी ने इस पीपल के वृक्ष पर अपना पंजा लगा दिया l जिसके कारण वृक्ष यहीं पर रुक गया l आज भी इस वृक्ष की जड़ें जमीन से 10-12 फीट ऊपर दिखाई देती हैं l इसे आज लोग पंजा साहिब के नाम से जानते है l

पहले इसका नाम “सिद्धमत्ता” था l फिर गुरू गोरक्षनाथ के शिष्यों के आने के बाद “गोरखमत्ता” l फिर गुरुनानक देव जी के आने से बाद इसका नाम “नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा” हो गया l जोकि देश,विदेश दोनों ही जगह में प्रसिद्ध है l

Bauli sahib

नानकमत्ता के समीप बाउली साहिब गुरुद्वारा स्थित है, यहाँ की ऐसी मान्यता है श्रद्धालू जो भी अपनी इच्छा लेकर दर्शन करने आता है बाउली साहिब के दर्शन करने के बाद उसकी इच्छा पूरी होती है l

Bouli Sahib Gurudwara

नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा कैसे पहुँचे ? (How to Reach Nanakmatta Sahib gurudwara)

नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा बहुत ही आसानी से जाया जा सकता है, यहाँ आने का सबसे सरल माध्यम सड़क, रेल और हवाई यात्रा से यहां आसानी से पहुँचा जा सकता है l

सड़क मार्ग – How to Reach Nanakmatta by Road

अगर आप दिल्ली से सड़क के रास्ते से यहाँ पहुँचना चाहते हो, तो वाया NH34 और NH9 के रास्ते से यहाँ पहुँचा जा सकता है l नई दिल्ली से हापुड़, गजरौला, मुरादाबाद, रामपुर,रुद्रपुर, किच्छा, सितारगंज और अंत में नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब है l

भारत के हर एक कोने से आसानी से यहाँ पहुँचा जा सकता है l सितारगंज और खटीमा शहर के मध्य में नानकमत्ता बसा हुआ है l सितारगंज एक औधोगिक क्षेत्र भी है l

नानकमत्ता के लिए नई दिल्ली के आनंद विहार बस टर्मिनल से उत्तर प्रदेश परिवहन निगम एवं उत्तराखंड परिवहन निगम के टनकपुर डिपो की बसें हर समय यहाँ के लिए चलती रहती है l

इनमें आपको वोल्वो और रोडवेज दोनों ही आसानी से मिल जायेंगी,और हर आधे घटे में ये बसें नई दिल्ली से आसानी से मिल जाती है, यहां प्राइवेट बसों के द्वारा भी जा सकते है l

अगर आप प्राइवेट टैक्सी बुक करना चाहते हैं तो यह सुविधा भी आसानी से प्राप्त हो जाएगी l अगर आप बरेली के रास्ते यहाँ पहुँचना चाहते हैं l तो आपको पीलीभीत होते हुए खटीमा में चेंज करना पड़ेगा l

यहाँ से नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा 15 किलो मीटर की पर दूरी में स्थित है l

शहरों से नानकमत्ता साहिब की दूरी- Distance from Main Cities

आगरा से नानकमत्ता (316) किमी l
देहरादून से नानकमत्ता (300) किमी l
बरेली से नानकमत्ता (90) किमी l
लखनऊ से नानकमत्ता (325) किमी l
नई दिल्ली से नानकमत्ता( 290) किमी l
चंडीगढ़ से नानकमत्ता( 476) किमी l

हवाई मार्ग – How to Reach Nanakmatta by Air

पंतनगर एरपोर्ट सबसे करीबी एरपोर्ट है ( Nearest Airport to Nanakmatta). नई दिल्ली इंद्रा गाँधी एयरपोर्ट से पंतनगर एरपोर्ट द्वारा भी यहाँ पहुँच सकते है l पंतनगर एरपोर्ट की नानकमत्ता से दूरी 55 किलो मीटर है l पंतनगर एरपोर्ट से टैक्सी सर्विस भी है l

रेल मार्ग- How to Reach Nanakmatta by Train

नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा ट्रेन द्वारा भी पहुँचा जा सकता है l आप नई दिल्ली के रास्ते ट्रेन ( by train) यहाँ पहुँचना चाहते हैं l रुद्रपुर और किच्छा सबसे (Kichha Nearest railway station) करीबी रेलवे स्टेशन हैं l

यहां आने वाली ट्रेनों में रानीखेत एक्सप्रेस और उत्तराखंड संपर्क क्रांति वो ट्रेन हैं, जिनके द्वारा आप यहाँ पहुँच सकते हैं l

अगर आप बरेली रूट से नानकमत्ता साहिब (Bareilly to nanakmatta by train) पहुँचना चाहते हैं l तो खटीमा रेलवे स्टेशन सबसे करीब है, जो यहाँ से 15 किलो मीटर दूरी पर है l

नानकमत्ता साहिब दर्शन करने का समय (Best time to darshan Nanakmatta Sahib)

नानकमत्ता साहिब के दर्शन पूरे साल में कभी भी किसी भी मौसम में किए जा सकते हैं l यहाँ का मौसम हमेशा श्रद्धालुओं के अनुकूल रहता है l यहां सेवको द्वारा सुबह -शाम पाठ और अरदास की जाती है,

जिसके बाद प्रसाद दिया जाता है l यहां 24 /7 लंगर चलता रहता है l यहाँ दर्शन करने का सबसे अच्छा समय दीपावली त्योहार का है l क्योकि दीपावली में यहाँ हफ्ते भर मेला लगता है (diwali mela) और देश भर से रोजाना हजारों सिख और अन्य श्रद्धालु दीपावली मेले में यहाँ पहुँचते हैं l

और दर्शन करते हैं l यह मेला नानक सागर डेम के पार लगता है, वहां जाने के लिए नावों का उपयोग किया जाता है l यहा का नजारा बहुत ही सुन्दर और अद्भुत है l यहा साइबेरियन बर्ड्स भी आती है सर्दियों की शुरुवात में l

नानकमत्ता साहिब का तापमान (Nanakmatta Sahib Temperature)

नानकमत्ता का तापमान हमेशा ही सामान्य रहता है l हिमालय के समतलीय भाग में स्थित होने के कारण यहाँ हर तरह के मौसम का आनंद उठाया जा सकता है. पूरे साल में यहाँ कभी भी दर्शन करने के पहुँचा जा सकता है l यहां हरेक मौसम का अपना ही महत्व है l

History and Philosophy of Nanakmatta Sahib Gurudwara


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Bhakti Gyaan

आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी