ॐ का उच्चारण क्यों किया जाता है ?-
“ॐ” किसी मजहब या सम्प्रदाय से न होकर पूरी इंसानियत का है I ठीक उसी तरह जैसे कि हवा, पानी, सूर्य, ईश्वर, वेद आदि सब पूरी इंसानियत के लिए हैं,न कि केवल किसी एक सम्प्रदाय के लिए I हिंदू धर्म में “ॐ”
प्रायः सभी मंत्र “ॐ” से शुरू होते है I “ॐ” शब्द का मन, चित्त, बुद्धि और हमारे वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है I “ॐ” ही एक ऐसा शब्द है I जिसे अगर पेट से बोला जाए तो दिमाग की नसों में कम्पन होता है I इसके अलावा ऐसा कोई भी शब्द नही है I जो ऐसा प्रभाव डाल सके l
“ॐ” शब्द तीन अक्षरो से मिल कर बना है जो है I “अ”, “उ” और “म” जब हम पहला अक्षर “अ” का उच्चारण करते है I तो हमारी वोकल कॉर्ड या स्वरतन्त्री खुलती है I और उसकी वजह से हमारे होठ भी खुलते है I
दूसरा अक्षर “उ” बोलते समय मुंह पुरा खुल जाता है I और अंत में “म” बोलते समय होठ वापस मिल जाते है I अगर आप गौर से देखेंगे तो ये जीवन का सार है I पहले जन्म होता है, फिर सारी भागदौड़ और अंत में आत्मा का परमात्मा से मिलन I
अंग्रेजी का शब्द “OMNI” जिसके अर्थ अनंत और कभी ख़त्म न होने वाले तत्त्वों पर लगाए जाते हैं I जैसे सर्वव्यापी (omnipresent), सर्वशक्तिमान (omnipotent) भी वास्तव में इस ॐ शब्द से ही बना है l
ॐ के तीन अक्षर आध्यत्म के हिसाब से भी ईश्वर और श्रुष्टि के प्रतीकात्मक है I ये मनुष्य की तीन अवस्था (जाग्रत, स्वपन, और सुषुप्ति), ब्रहांड के तीन देव (ब्रहा, विष्णु और महेश) तीनो लोको (भू, भुवः और स्वः) को दर्शाता है I ॐ अपने आप में एक सम्पूर्ण मंत्र है l
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शिव रुद्राष्टकम I शिव स्तोत्र नमामि शमीशान मन्त्र
आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी