सतयुग त्रेतायुग द्वापरयुग कलियुग का संक्षिप्त ज्ञान

सतयुग त्रेतायुग द्वापरयुग कलियुग का संक्षिप्त ज्ञान

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satayug tretayug dvaparayug kaliyug ka sankshipt gyan

सतयुग त्रेतायुग द्वापरयुग कलियुग का संक्षिप्त ज्ञान

सतयुग

  • मनुष्य की आयु – 100,000
  • मनुष्य की लम्बाई – 32 फीट { लगभग } 21 हाथ I
  • तीर्थ – पुष्कर
  • पाप – 0 विश्वा
  • पुण्य – 20 विश्वा
  • अवतार – मत्स्य, कूर्म, वरहा,नृसिंह, { सभी अमानवीय अवतार हुए } I
  • कारण – शंखासुर का वध एवं वेदों का उद्धार, पृथ्वी का भार हरण, हिरण्याक्ष दैत्य का वध, हिरण्याकश्यपु का वध अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए I
  • मुद्रा – रत्नमय
  • पात्र – स्वर्ण का

त्रेतायुग

  • पूर्ण आयु – 12,96,000
  • मनुष्य की आयु – 10,000
  • मनुष्य की लम्बाई – 21 फीट { लगभग }, [ 14 हाथ ]
  • तीर्थ – नैमिषारण्य
  • पाप – 5 विश्वा
  • पुण्य – 15 विश्वा
  • अवतार – वामन, परशुराम, राम { राजा दशरथ के घर } I
  • कारण – बलि का उद्धार कर पाताल भेजा, सहस्त्रबाहु एवं मदान्ध क्षत्रियों का संहार, रावण-वध एवं देवों को बन्धन मुक्त करने के लिए I
  • मुद्रा – स्वर्ण
  • पात्र – चाँदी

द्वापरयुग

  • पूर्ण आयु – 8,64000
  • मनुष्य की आयु – 1,000
  • मनुष्य की लम्बाई – 11 फीट { लगभग }, [ 7 हाथ ]
  • तीर्थ – कुरुक्षेत्र
  • पाप – 10 विश्वा
  • पुण्य – 10 विश्वा
  • अवतार – कृष्ण, { देवकी के गर्भ से एवं नन्द के घर पालन पोषण },बलराम I
  • कारण – कंसादि दुष्टों का संहार एवं गोपों की भलाई, दैत्यों को मोहित करने के लिए एवं प्रेम का सही अर्थ समझाने के लिए I
  • मुद्रा – चाँदी
  • पात्र – ताम्र

कलियुग

  • पूर्ण आयु – 4,32000
  • मनुष्य की आयु – 1,00
  • मनुष्य की लम्बाई – 5.5 फीट { लगभग }, [ 3.5 हाथ ]
  • तीर्थ – गंगा
  • पाप – 15 विश्वा
  • पुण्य – 5 विश्वा
  • अवतार – कल्कि , { ब्राह्मण विष्णुयश के घर } I
  • कारण – मनुष्य जाति के उद्धार अधर्मियों का विनाश एवं धर्म की रक्षा के लिए I
  • मुद्रा – लोहा
  • पात्र – मिट्टी

84 लाख योनि व्यवस्था कुछ इस प्रकार है-

जलचर जीव – 9 लाख

वृक्ष – 27 लाख

कीट (क्षुद्र जीव ) – 11 लाख

पक्षी – 10 लाख

जंगली पशु – 23 लाख

मनुष्य – 4 लाख

चारों युग

4 चरण {1,728,000 सौर वर्ष } सतयुग

3 चरण { 1,296,000 सौर वर्ष } त्रेतायुग

2 चरण { 864,000 सौर वर्ष } द्वापर

1 चरण {4,3200 सौर वर्ष } कलियुग

व्रज 84 कोस – 66 अरब तीर्थ

वृन्दावन, मथुरा, गोकुल, नंदगाव, बरसाना, गोवर्धन सहित वे सभी जगह जहां श्री कृष्ण जी का बचपन बीता और आज

भी जहां उनको महसूस किया जाता है I जैसे कि सांकोर आदि में वह सब ब्रज चौरासी कोस (84) का हिस्सा है I

ब्रज चौरासी कोस की I परिक्रमा एक देत II
लख चौरासी योनि के II संकट हरी हर लेत II

वृंदावन के वृक्ष कों I मरम ना जाने कोय II
डाल-डाल और पात पे I श्री राधे राधे होय II

इसके बारे में विस्तार से जानते हैं I

वेद पुराणों में ब्रज की 84 कोस की परिक्रमा का बहुत महत्व है I ब्रजभूमि भगवान श्री कृष्ण एवं उनकी शक्ति श्री राधा रानी की लीला भूमि है I

इस परिक्रमा के बारे में वरहा पुराण में बताया गया है I कि पृथ्वी पर 66 अरब तीर्थ है I और वे सभी चतुर्मास में ब्रज में आकर निवास करते हैं I

श्री कृष्ण की लीलाओं से जुड़े हुए 1100 सरोवरें है I ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा उत्तर प्रदेश के मथुरा के अलावा

राजस्थान और हरियाणा के होडल जिले के गांव से होकर गुजरती है II

जो तीन चीजें छोड़ता है भगवान उसे नहीं छोड़ते

भगवान अपने भक्तों की रक्षा कैसे करते हैं I

Bhakti Gyaan

आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी