शनि देव बाण भजन हिंदी लिरिक्स
जय शनिदेव भक्त हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी
जन के काज विलंब न कीजौ, आन के नाथ महासुख दीजौ
जो जड़ चेतन है जग माही, तुम्हरी दृष्टि छुपत कोहु नाही
दृष्टि दया कर मोही उबारो, रवि तनय मम संकट तारो
जोपै कुपित होउ तुम देवा, सुख शांति भस्मी कर देवा
जापे वर प्रद कर धर देहु, ताहि सुखी संपन्न करेहुँ।
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जयति जयति जय हे शनि देवा, तीनो लोक हो तेरी सेवा
तुम्हरे कोप जगत भर माया, सूर्य पुत्र तुम माता छाया
रूप भयानक अति भयंकर, ध्यावे ब्रह्मा विष्णु शंकर
विष स्वरूप अति विद्रूपा, पूजित लोक हे नवगृह भूपा।
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जयति शनि देव बल सागर, सुर समूह समर्थ भटनागर
शाम वसन तन सोहत स्वामी, हे छाया सूत नमो नमामि
धर्म रक्षा को स्वामी धावो, ब्रज गद हनु विलंब न लागो
गदा वज्र लै वेरही मारो, दीन जनन को नाथ उबारो।
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दिर्घ दिर्घ तर गात विशाला, नाही कोउ बैर बांधने वाला
देव दनुज सब कहे भयकारी, तुम बिन कोई कलेश न तारी
ग्रह पीड़ा हरना रवि नंदन, शनि देव तुम शत शत वंदन
पूजा जप तप लेम अचारा, नाही जानत हो दास तुम्हारा।
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वन उपवन मघ गिरि गृह माही, तुम्हरे बल हम डरपत नाही
पाय परो करी जोर मनाऊ, ध्यान तेरा शनि देव लगाऊं
सूर्य पुत्र हे ये यम के भ्राता, सुख दु:ख हारी भाग्य विधाता
तासों विनय करो तोहि पाहीं, तोरी कृपा कुछ दुर्लभ नाही।
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रवि तनय मोहे शांति दीजै, विपदा मोरि सकल हर लीजै
हे ग्रह राज रोग चिंता हर, छाया पुत्र कृपा होपे पर
तुम बिन मोर न कोहु सहाया, शनि देव तोरी तरण में आया
जय जय जय धुनि होत अकासा, सुमरथ होय दुसह दु:ख नासा।
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चरण पकड़ तोहि नाथ मनाउ, छोड़ शरण तेरी अब कित जाउ
आप से विनती करू पुकारी, हरहु सकल दु:ख विपत हमारी
आसो प्रभु प्रभाव तुम्हारो, क्षण में कटे दु:ख स्वामी मारो
जयति जयति जय शिव के प्यारे, जयति जयति जय छाया दुलारे
जयति जयति जय मंगल दाता, जयति जयति जय भाग्य विधाता
जयति जयति त्रिभुवन विख्याता, जयति जय पाप पुण्य फल दाता।
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आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी