श्रीकृष्ण ने राजा मुचुकन्द का उद्धार कैसे किया।

श्रीकृष्ण ने राजा मुचुकन्द का उद्धार कैसे किया।

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श्रीकृष्ण ने राजा मुचुकन्द का उद्धार कैसे किया।

श्रीकृष्ण ने राजा मुचुकन्द का उद्धार कैसे किया। :

श्रीकृष्ण के बारे में जितनी बातें बताई जाएं कम हैं। श्री कृष्ण रसिया हैं। युद्ध कौशल के ! कुशल जानकार हैं। प्रतापी योद्धा हैं तो रास रचाने में उनका कोई सानी नहीं। महाभारत के युद्ध में हमने लड़ाइयों के बारे में सुना है। मगर एक लड़ाई ऐसी है जो श्री कृष्ण महाभारत में नहीं बल्कि मथुरा में लड़ते हैं। इस युद्ध की खास बात है कि इसमें श्री कृष्ण ने कालयवन के साथ ही एक अन्य योद्धा का भी उद्धार किया। गोवेर्धन पर्वत की पारिक्रमा क्यों करते है?

कंस का अंत होने के बाद मगध एक ऐसा राज्य था जो काफी शक्तिशाली था। मगध का राजा था जरासंध। जिसे अपनी भुजाआों के साथ ही अपनी सेना पर बड़ा गर्व था। कंस जरासंध का दामाद था। कंस के मरने के बाद से ही जरासंघ की पत्नी उसे उकसाती थी कि वह कंस की मौत का बदला ले। इस पर जरासंध ने मथुरा पर आक्रमण करने की योजना बनाई। हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता भजन लिरिक्स

उसने एक के बाद एक कुल सत्रह बार मथुरा पर आक्रमण किया। मगर वह सफल नहीं हो सका। अपनी योजना को सफल बनाने के लिए उसने आठरहवीं बार आक्रमण करने की सोची। मगर इस बार वह पहले की तरह गलती नहीं करनी चाहता था। उसने अपने साथ उस वक्त के एक और बड़े योद्धा कालयवन को साथ लिया। कालयवन विशाल था। उसकी सेना भी बहुत समृद्ध थी। सती किसे कहते हैं? सती की सही परिभाषा क्या है?

कालयवन से युद्ध की बात सुनते ही कई राजाआों की घिग्घी बंध जाती थी। कालयवन ने युद्ध के लिए अपनी सेना के द्वारा मथुरा को घेर लिया। उसने दूत के माध्यम से संदेश भेजा की कृष्ण उससे युद्ध करने आएं। इस पर श्री कृष्ण ने कहा कि युद्ध करना है तो पूरी सेना का युद्ध क्यों हो वह और कालयवन आपस में युद्ध कर लेते हैं। इसमें जो जीतेगा वह विजेता होगा। इस पर कालयवन भी तैयार हो गया।

उसने तुरन्त युद्ध के लिए श्री कृष्ण को ललकारा। कृष्ण और कालयवन मल्ल युद्ध के लिए अखाड़े में आए। मगर, जैसे ही कालयवन उन पर झपटा श्री कृष्ण अखाड़े से भागने लगे। कालयवन उनसे पीछे दौड़ा। श्री कृष्ण आगे-आगे और कालयवन उनके पीछे-पीछे भाग रहा था। सभी यह नजारा देख हैरान हो गए। भागते-भागते कृष्ण एक गुफा में पहुंच गए।

कालयवन जब गुफा में पीछा करता हुए पहुंचा तो देखा की श्री कृष्ण वहां नहीं हैं। उसने चारोओर नजर दौड़ाई तो एक व्यक्ति सोता हुआ दिखाई दिया। कालयवन ने सोचा की कृष्ण नाटक कर रहे हैं। उसने श्री कृष्ण समझ उस व्यक्ति के पीठ पर जोरदार लात मारी। इससे सोया हुआ व्यक्ति जग गया। कालयवन को कुछ भी पता नहीं था। भक्त का प्रेम-भाव देखकर राधा रानी से रहा नहीं गया

इसी बीच जैसे ही सोए हुए व्यक्ति को लात लगी उसने लात मारने वाले की तरफ देखा। जैसे ही उसकी दृष्टि कालयवन पर पड़ी कालयवन भस्म हो गया। असल में वह व्यक्ति कोई और नहीं इक्ष्वाकु वंश के महाराजा मांधाता के पुत्र राजा मुचुकन्द थे। उन्हें यह वरदान था की सोते वक्त उन्हें जो भी व्यक्ति जगाएगा, उस पर उनकी एक दृष्टि उसे भस्म कर देगी।

लोक कथाओं के अनुसार मांधाता के पुत्र मुचुकन्द को ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि श्रीकृष्ण के द्वारा उन्हें कालयवन का वध करने का मौका मिलेगा। इस तरह श्रीकृष्ण ने कालयवन और राजा मुचुकन्द का भी उद्धार किया।


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आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी