तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है हिंदी भजन

तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है हिंदी भजन

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तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है हिंदी भजन

तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी नज़रों से ये मुझे जाम पीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।

तेरे बिना कोई दूसरा नहीं मेरा।
तेरे बिना कोई दूसरा नहीं मेरा।
छोड़ो नहीं कशके पकड़ा है दामन तेरा।
छोड़ो नहीं कशके पकड़ा है दामन तेरा।
तू ही मक्का, तू ही काबा, तू ही मदीना है।
तू ही मक्का, तू ही काबा, तू ही मदीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।

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मेरे हमदम मेरे साथी मेरे साथी हमदम।
मेरे हमदम मेरे साथी मेरे साथी हमदम।
तेरी खुशी मेरी खुशी तेरा गम मेरा गम।
तेरी खुशी मेरी खुशी तेरा गम मेरा गम।

तू लहू है, तू जान है, तू ही पसीना है।
तू लहू है, तू जान है, तू ही पसीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।

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इस तरह शरहत में बुलबुल आशियाना छोड़ दे।
मैं ना छोड़ूँगा तुझे चाहे जमाना छोड़ दे।
दिया है दर्द जो तूने, तू ही दवा देगा।
दिया है दर्द जो तूने, तू ही दवा देगा।
तू ही दरिया, तू ही शाहिल, तू ही सफीना है।
तू ही दरिया, तू ही शाहिल, तू ही सफीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।

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तेरी नज़रों से ये मुझे जाम पीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।

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आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी