क्षमा करो अपराध शरण माँ आया हूं।
क्षमा करो अपराध शरण माँ आया हूं।
माता वैष्णो द्वार में शीश झुकाया हूं।
देवों के सब संकट टारे
रक्त बीज मधु-कैटभ मारे
शुम्भ निशुम्भ असुर संघारे
किया भगत कल्याण शरण माँ आया हूं।
तेरी मंद मंद मुस्कनिया भजन हिंदी लिरिक्स
बालकपन खेलों में गंवाया
यौवन विषयों में भरमाया
बुढ़ापन कुछ काम ना आया
जीवन सफल बनाओ शरण माँ आया हूं।
धन यौवन का साथ नहीं है
विद्याधन कुछ पास नहीं है
नाम बड़ा नहीं काम बड़ा नहीं
नहीं बाद कुलधाम शरण माँ आया हूं।
यदि नाथ का नाम दयानिधि है हिंदी लिरिक्स
धर्म मार्ग मुझको ना सुहाते
सदा कुमार्ग मुझको भाते
मन चंचल तेरा ध्यान ना करता
बड़ा चबल नादान शरण माँ आया हूं।
घर बार से हूं ठुकराया
विषयों मैं भटका घबराया
समय गंवाकर मैं पछताया
विषय सर्प मन डंसा शरण माँ आया हूं।
नज़र में रहते हो मगर तुम नज़र नहीं आते लिरिस्क
माँ विपदा ने मुझे है घेरा
बिन तेरे अब कोई ना मेरा
दिन बंधु माँ नाम है तेरा
करो सफल निज धाम शरण माँ आया हूं।
पूजा भेंट कुछ नहीं लाया
मंत्र-यंत्र गुरु ज्ञान भुलाया
पाप-भार से शीश झुकाया
माता कर कल्याण शरण माँ आया हूं।
राधे तेरे चरणों की गर धूल जो मिल जाए लिरिक्स
माँ भक्तों को तुमने तारा
दैत्य पुत्र का रस-रस न्यारा
पुत्र-कुपुत्र जगत में होते
माता देखे उन्हें ना रोते
वैष्णो कर कल्याण शरण माँ आया हूं।
क्षमा करो अपराध शरण माँ आया हूं
माता वैष्णो द्वार में शीश झुकाया हूं।
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आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी