श्री राम भक्त हनुमान जी की अतुलित शक्तियों का राज

श्री राम भक्त हनुमान जी की अतुलित शक्तियों का राज

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श्री राम भक्त हनुमान जी की अतुलित शक्तियों का राज

श्री राम भक्त हनुमान जी की अतुलित शक्तियों का राज:

श्री रामभक्त हनुमान जी को हम ना जाने कितने ही नामों से पूजते हैं। कोई उन्हें पवन पुत्र कहता है तो कोई महावीर, कोई अंजनीपुत्र बुलाता है तो कोई कपीश नाम से उनकी अराधना करता है। भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए, जिनमें से सर्वश्रेष्ठ हैं महावीर हनुमान अवतार !

शिवपुराण के अनुसार त्रेतायुग में दुष्टों का संहार करने के लिए हनुमान ने शिव के वीर्य से जन्म लिया था। शिवपुराण में हुए उल्लेखानुसार समुद्र मंथन के बाद देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत का बंटवारा करने के लिए विष्णु जी ने मोहिनी का आकर्षक रूप धारण किया था। यह भी पढ़ें –द्वारिका पुरी धाम हिंदुओं के चार प्रमुख धामों में से एक है

मोहिनी को देखकर कामातुर शिव ने अपनी लीला रचते हुए वीर्यपात किया जिसे सप्तऋषियों ने सही समय का इंतजार करते हुए संग्रहिहित कर लिया था। शिव का वीर्य जब वक्त आया तब सप्तऋषियों ने शिव के वीर्य को वानराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से उनके गर्भ तक पहुंचाया। शिव के इसी वीर्य से अत्यंत पराक्रमी और तेजस्वी बालक हनुमान का जन्म हुआ था। यह भी पढ़ें –भगवान शिव ने राम नाम कण्ठ में क्यों धारण किया है ?

बाल्यकाल में हनुमान वाल्मिकी रामायण के अनुसार हनुमान अपने बाल्यकाल में बेहद शरारती थी।
एक बार सूर्य को फल समझकर उसे खाने दौड़े तो घबराकर देवराज इन्द्र ने उनपर वार किया। इन्द्र के वार से हनुमान बेहोश हो गए, जिसे देखकर वायु देव अत्याधिक क्रोधित हो उठे।

उन्होंने समस्त संसार को वायु विहीन कर दिया। चारों ओर त्राहिमाम मच गया। तब स्वयं ब्रह्मा ने आकर हनुमान को स्पर्श किया और हनुमान जीवित हो उठे। उस समय सभी देवतागण हनुमान के पास आए और उन्हें भिन्न-भिन्न वरदान दिए।

सूर्य देव का वरदान : सूर्य देव द्वारा दिए गए वरदान की वजह से ही हनुमान सर्व शक्तिमान बने। सूर्य देव ने उन्हें अपने तेज का सौवा भाग प्रदान किया और साथ ही यह भी कहा कि जब यह बालक बड़ा हो जाएगा तब स्वयं उन्हीं के द्वारा ही शास्त्रों का ज्ञान भी दिया जाएगा। सूर्य देव ने उन्हें एक अच्छा वक्ता और अद्भुत व्यक्तित्व का स्वामी भी बनाया। सूर्य देव ने पवनपुत्र को नौ विद्याओं का ज्ञान भी दिया था।

यमराज का वरदान : यमराज ने हनुमान को यह वरदान दिया था। कि वह उनके दंड से मुक्त रहेंगे और साथ ही वह कभी यम के प्रकोप के भागी भी नहीं बनेंगे। यह भी पढ़ें –लड्डू गोपाल जी ने निभाया भाई बन कर अपना फर्ज

कुबेर का वरदान : कुबेर ने हनुमान जी को यह वरदान दिया था। कि युद्ध में कुबेर की गदा भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। कुबेर ने अपने सभी अस्त्र-शस्त्रों के प्रभाव से हनुमान को मुक्त कर दिया।

भोलेनाथ का वरदान : महावीर का जन्म शिव के ही वीर्य से हुआ था। महादेव ने कपीश को यह वरदान दिया कि किसी भी अस्त्र से उनकी मृत्यु नहीं हो सकती।

देवशिल्पी विश्वकर्मा का वरदान : देवशिल्पी विश्वकर्मा ने हनुमान को ऐसी शक्ति प्रदान की जिसकी वजह से विश्वकर्मा द्वारा निर्मित किसी भी अस्त्र से उनकी मृत्यु नहीं हो पाएगी और साथ ही हनुमान को चिरंजीवी होने का वरदान भी प्रदान किया। यह भी पढ़ें –अंत भला तो सब भला एक सुन्दर व्याख्यान

देवराज इन्द्र का वरदान : देवराज इन्द्र ने हनुमान जी को यह वरदान दिया। कि उनका वज्र भी महावीर को चोट नहीं पहुंचा पाएगा। इन्द्र देव द्वारा ही हनुमान की हनु खंडित हुई थी। इसलिए इन्द्र ने ही उन्हें हनुमान नाम प्रदान किया।

वरुण देव का वरदान : वरुण देव ने हनुमान को दस लाख वर्ष तक जीवित रहने का वरदान दिया। वरुण देव ने कहा कि दस लाख वर्ष की आयु हो जाने के बाद भी जल की वजह से उनकी मृत्यु नहीं होगी। यह भी पढ़ें –श्रीकृष्ण ने राजा मोरध्वज के द्वारा कैसे तोडा अर्जुन का अभिमान

ब्रह्माजी का वरदान : हनुमान को अचेत अवस्था से मुक्त करने वाले परमपिता ब्रह्मा ने भी हनुमान को धर्मात्मा, परमज्ञानी होने का वरदान दिया। साथ ही ब्रह्मा जी ने उन्हें यह भी वरदान दिया कि वह हर प्रकार के ब्रह्मदंडों से मुक्त होंगे और अपनी इच्छानुसार गति और वेश धारण कर पाएंगे।

तपस्या में लीन मुनी पौराणिक कथाओं के अनुसार सभी देवी-देवताओं ने हनुमान जी को अपनी शक्तियां और वरदान प्रदान किए थे। जिसके परिणाम स्वरूप पवनपुत्र बेरोक-टोक घूमने लगे थे। उनकी शैतानियों के कारण सभी ऋषि-मुनी परेशान हो गए थे।

वे तपस्या में लीन मुनियों को भी तंग किया करते थे। शक्तियों की याद जिसकी वजह से एक बार अंगिरा और भृगुवंश के मुनियों ने क्रोधित होकर उन्हें श्राप दिया कि वे अपनी सभी शक्तियां और बल भूल जाएं और इसका आभास उन्हें तभी हो, जब कोई उन्हें याद दिलाए।

समुद्र लांघना : इस घटना के बाद हनुमान जी बिल्कुल सामान्य जीवन जीने लगे। उन्हें अपनी कोई भी शक्ति स्मरण नहीं थी। भगवान राम से मुलाकात के बाद जब सीता को खोजने के लिए लंका जाना था, तब समुद्र लांघने के समय स्वयं प्रभु राम ने हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण करवाया था।

सीताजी का वरदान : जब सीताजी की खोज करते हुए हनुमान जी लंका पहुंचे तब बड़ी मशक्कत करने के बाद आखिरकार उन्हें मां सीता दिखाई दीं। जब हनुमान जी ने सीता मां को अपना परिचय दिया तब सीता मां उनसे अत्यंत प्रसन्न हुईं और उन्हें अमरता के साथ यह भी वरदान दिया कि वे हर युग में श्रीराम के साथ रहकर उनके भक्तों की रक्षा करेंगे।

कलयुग में हनुमान जी की अराधना :

हनुमान चालीसा की पंक्तियाों के अनुसार “अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता” का अर्थ है कि मां देवी सीता ने महावीर को ऐसा वरदान प्राप्त हुआ जिसके अनुसार कलयुग में भी वह किसी को भी आठ सिद्धियां और नौ निधियां प्रदान कर सकते हैं। आज भी यह माना जाता है कि जहां भी रामायण का गान होता है, हनुमान जी वहां अदृश्य रूप में उपस्थित होते हैं।

भगवान श्री राम का वरदान : रावण की मृत्यु और लंका विजय करने के बाद भगवान राम ने हनुमान को यह वरदान दिया था ! जब तक इस संसार में मेरी कथा प्रचलित रहेगी, तब तक आपके शरीर में भी प्राण रहेंगे और आपकी कीर्ति भी अमिट रहेगी। यह भी पढ़ें –मदन मोहन श्री कृष्ण और उनके मुस्लिम भक्त ताज खां



जैसा खाओगे अन्न वैसा बनेगा मन ऐसा कहा जाता है

Bhakti Gyaan

आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी