यमराज क्यों हैं इतने रहस्यमयी आइए जानते हैं।

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यमराज क्यों हैं इतने रहस्यमयी आइए जानते हैं।

यमराज क्यों हैं इतने रहस्यमयी आइए जानते हैं। : मृत्यु के देवता यमराज की कहानी बहुत रहस्यमय है। वो न्याय करते हैं दंड देते हैं। लोग उनके नाम से डरते हैं। तो उनकी पूजा भी की जाती है। कहते हैं कि विधाता लिखता है, चित्रगुप्त बांचता है, यमराज के दूत पकड़ कर के लाते हैं और यमराज दंड देते हैं। क्यों हुआ था बाली और हनुमान जी के बीच युद्ध।

मृत्य का समय ही नहीं, स्थान भी निश्चित है और कोई उसे टाल नहीं सकता। हिन्दू धर्म के अनुसार दण्ड के नायक हैं – यमराज, शनिदेव और भैरव। यमराज को दंड देने का अधिकार प्रदान है। वही आत्माओं को उनके कर्म अनुसार नरक, स्वर्ग, पितृ लोक आदि लोकों में भेज देते हैं। उनमें से कुछ को पुन: धरती पर फेंक दिया जाता है।

आइए जानते हैं – मृत्य के देवता ‘यमराज’ के रहस्य को !

मृत्यु के देवता और दक्षिण के दिक्पाल : मार्कण्डेय पुराण के अनुसार दक्षिण दिशा के दिकपाल और मृत्यु के देवता को यम कहा जाता है। ये दस दिशाओं के दिकपाल ये हैं इंद्र, अग्नि, यम, नऋति, वरुण, वायु, कुबेर, ईश्व, अनंत और ब्रह्मा।

यमराज का परिवार : विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा के गर्भ से उत्पन्न सूर्य के पुत्र को यम कहा गया है। यमी इनकी पत्नी का नाम है। इनका शस्त्र दंड और वाहन भैंसा है। चित्रगुप्त इनका सहयोगी है। इनके पिता का नाम सूर्य और बहन का नाम यमुना और भाई का नाम श्राद्धदेव मनु। यह तो प्रेम की बात है उधो बंदगी तेरे बस की नहीं है लिरिक्स

मृत्यु के देवता यमराज का रूप : यमराज का पुराणों में विचित्र विवरण मिलता है। पुराणों के अनुसार देवता यमराज का रंग हरा है और वे लाल रंग के वस्त्र पहनते हैं। भैंसे की सवारी करते हैं और एक गदा भी धारण करते हैं।

मृत्यु के देवता यमराज के मुंशी : यमराज के मुंशी ‘चित्रगुप्त’ हैं जिनके माध्यम से वे सभी प्राणियों के कर्मों और वे पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं। चित्रगुप्त की बही ‘अग्रसन्धानी’ में प्रत्येक जीव के पाप-पुण्य का हिसाब है।

धर्मराज यमराज के नाम : यम का अर्थ होता है नियंत्रण और संयम। मृत्यु के देवता यमराज को धर्मराज भी कहा जाता है। यमराज के लिए पितृपति, कृतांत, शमन, काल, दंडधर, श्राद्धदेव, धर्म, जीवितेश, महिषध्वज, महिषवाहन, शीर्णपाद, हरि और कर्मकर विशेषणों का प्रयोग होता है। अंग्रेजी में यम को प्लूटो कहते हैं। एक धर्मशास्त्र का नाम भी यम भी है।

14 धर्मराज यमराज हैं : स्मृतियों के अनुसार 14 यम माने गए हैं – यम, धर्मराज, मृत्यु, अन्तक, वैवस्वत, काल, सर्वभूतक्षय, औदुम्बर, दध्न, नील, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र और चित्रगुप्त। ‘धर्मशास्त्र संग्रह’ के अनुसार 14 यमों को उनके नाम से 3-3 अंजलि जल तर्पण में देते है। मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान हिंदी लिरिक्स

कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी को यम त्योहार : स्कन्दपुराण’ में कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी को दीये जलाकर यम को प्रसन्न किया जाता है। इनका संसार ‘यमलोक’ के नाम से जाना जाता है। जब कोई मरता है तो वह किस मार्ग पर जाता है।

पुराणों के अनुसार जब भी कोई मनुष्य मरता है या आत्मा शरीर को त्यागकर यात्रा प्रारंभ करती है तो इस दौरान उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं। उस आत्मा को किस मार्ग पर चलाया जाएगा यह केवल उसके कर्मों पर निर्भर करता है।


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Bhakti Gyaan

आपका कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, और सत्य ही भक्ति है। : ब्रज महाराज दिलीप तिवारी जी