मानव अपने सपन संजोए विधिना अपनी चाल चले
मानव अपने सपन संजोए विधिना अपनी चाल चले : श्री रवींद्र जैन जी का संगीत भारतीय भक्ति संगीत की एक अनमोल धरोहर है। उनके मधुर और भावपूर्ण संगीत ने न केवल हमारे दिलों को छूआ बल्कि आत्मा को भी गहराई से प्रभावित किया। उनके द्वारा रचित भजन और गीत जीवन की हर स्थिति में सांत्वना और प्रेरणा का स्रोत बने हैं।
उनकी संगीत की विशिष्टता और भक्ति की गहराई ने लाखों लोगों को आत्मिक शांति और आनंद का अनुभव कराया। श्री रवींद्र जैन जी की कला और समर्पण ने भारतीय संगीत को एक नई दिशा दी, और उनके रचनात्मक योगदान को शब्दों में व्यक्त करना भी संभव नहीं है।
उनके संगीत के प्रति हमारी श्रद्धा और आभार की भावना अपार है। श्री रवींद्र जैन जी को उनके अनुपम संगीत और अनगिनत प्रेरणाओं के लिए हमारी ओर से कोटि कोटि प्रणाम।
निशि चलित नदं जसोदा जागे, हार गए होनी के आगे।
मानव अपने सपन संजोए विधिना अपनी चाल चले
पल में सब कुछ हुआ रे पराया, ममता हाथ मले,
मानव अपने सपन संजोए, विधिना अपनी चाल चले,
मानव अपने सपन संजोए, विधिना अपनी चाल चले l
काली काली अलकों के फंदे क्यों डाले हिंदी भजन
हृदयों के फूलों को निर्मम,
हृदयों के फूलों को निर्मम, रोन्धे पांव तले,
मानव अपने सपन संजोए, विधिना अपनी चाल चले l
हर सांस में हो सुमिरन तेरा यूँ बीत जाए जीवन मेरा हिंदी भजन
भेज के अपने काल को न्यौता, कंस प्रतीक्षा में नहीं सोता,
कह गए संत फकीर करम गति,
कह गए संत फकीर करम गति, टारे नाहीं टरे,
मानव अपने सपन संजोए, विधिना अपनी चाल चले l
श्री कृष्ण शरणम ममः श्री कृष्ण शरणम ममः भजन
लाल को संकट बीच बुला के, देवकी रोए अब पछता के,
सोच रही है मात यशोदा,
क्यों सीचा ये नेहा का पौधा, एक आशंका से कांपे,
एक आशंका से कांपे एक मैया बिरह जले,
मानव अपने सपन संजोए, विधिना अपनी चाल चले l
पत्थर की राधा प्यारी पत्थर के कृष्ण मुरारी लिरिक्स
श्री कृष्ण के बहुत ही मनमोहक भजन रविंद्र जैन जी द्वारा रचित
- जिसकी लागी रे लगन भगवान में – भजन लिरिक्स | Jiski Lagi Re Lagan
- श्री राम और माता सीता द्वारा कराया श्राद्ध-गरूड़ पुराण
- श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में भजन