मानव अपने सपन संजोए विधिना अपनी चाल चले

मानव अपने सपन संजोए विधिना अपनी चाल चले

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मानव अपने सपन संजोए विधिना अपनी चाल चले

निशि चलित नदं जसोदा जागे, हार गए होनी के आगे।

पल में सब कुछ हुआ रे पराया,
ममता हाथ मले,
मानव अपने सपन संजोए,
विधिना अपनी चाल चले,
मानव अपने सपन संजोए,
विधिना अपनी चाल चले l

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हृदयों के फूलों को निर्मम,
हृदयों के फूलों को निर्मम,
रोन्धे पांव तले,
मानव अपने सपन संजोए,
विधिना अपनी चाल चले l

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भेज के अपने काल को न्यौता,
कंस प्रतीक्षा में नहीं सोता,
कह गए संत फकीर करम गति,
कह गए संत फकीर करम गति,
टारे नाहीं टरे,
मानव अपने सपन संजोए,
विधिना अपनी चाल चले l

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लाल को संकट बीच बुला के,
देवकी रोए अब पछता के,
सोच रही है मात यशोदा,
क्यों सीचा ये नेहा का पौधा,
एक आशंका से कांपे,
एक आशंका से कांपे एक मैया बिरह जले,
मानव अपने सपन संजोए,
विधिना अपनी चाल चले l

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